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शिवभक्‍तों की आस्‍था का केंद्र बना नकुलेश्‍वर महादेव मंदिर, पांडवों के चौथे भाई नकुल ने की थी स्‍थापना,,,।

शिवभक्‍तों की आस्‍था का केंद्र बना नकुलेश्‍वर महादेव मंदिर, पांडवों के चौथे भाई नकुल ने की थी स्‍थापना,,,।

Nakuleshwar Mahadev Temple: पवित्र श्रावण माह में भगवान शिव का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। कांवड़ यात्री हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने आराध्य देव भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। 

सहारनपुर का नकुलेश्वर महादेव मंदिर भी शिवभक्तों की आस्था का अटूट केंद्र है। नकुड़ कस्बे में स्थित इस मंदिर को लेकर किदवंती है कि इसकी स्थापना पांडव नकुल ने की थी।

सहारनपुर मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर नकुड़ में स्थित महाभारत कालीन इस मंदिर का पौराणिक महत्व है।

सेना लेकर यहां पहुंचे थे नकुल, तभी से बन गया नकुड़

बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के समय पांडु पुत्र नकुल ने अपनी सेना के साथ यमुना किनारे पर पड़ाव डाला था। उस समय यहां पर एक बस्ती थी। पड़ाव के दौरान उन्होंने यहां पर यमुना किनारे पर एक शिवलिंग स्थापित किया और उसकी विधिविधान से पूजा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने बस्ती का नाम भी नकुल रख दिया था। 

यही नाम बाद में अपभ्रंश होकर नकुड़ हो गया। नकुड़ के नकुलेश्वर महादेव मंदिर की आज भी बड़ी मान्यता है। बताया जाता है कि उस समय यमुना नदी नकुलेश्वर महादेव मंदिर के पास से ही बहती थी। लेकिन, धीरे-धीरे नदी ने अपना रास्ता बदल लिया था। इसके बाद यहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया था।

सैकड़ों वर्ष पुराना पीपल का वृक्ष भी है आस्था का केंद्र

मान्यताओं के अनुसार यहां मौजूद पीपल का वृक्ष भी सैकड़ों वर्ष पुराना है। इस पेड़ में गणेशनुमा आकृति भी उभरी है। बताया जाता है कि इस वृक्ष को भी पांडु पुत्र नकुल ने ही रोपा था तथा जलपान के लिए यहां एक कुंए का भी निर्माण कराया गया था, जो आज भी मौजूद है। मान्यताओं के अनुसार जो शिवभक्त सच्चे मन से यहां कोई मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूण होती है। इस मंदिर में श्रावण मास में शिव महापुराण कथा का आयोजन होता है, वहीं महाशिवरात्रि पर भी कथा का आयोजन होता है।