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वाराणसी : मुहर्रम विशेष, नवी तारीख :: 'हम चलेंगे आग पर और पांव जल सकता नहीं...

वाराणसी : मुहर्रम विशेष, नवी तारीख :: 'हम चलेंगे आग पर और पांव जल सकता नहीं...

वाराणसी :: नौ मोहर्रम यानी शुक्रवार को देर रात दूल्हे का जुलूस निकाला गया। शिवाला निवासी सद्दाम अली दूल्हा बने थे। लकड़ियों के दहकते अंगारे से जब दूल्हा गुजरा तो 'या हुसैन' का नारा बुलंद हुआ। हजारों लोग दूल्हे का झलक पाने को बेताब थे। 'हम चलेंगे आग पर और पांव जल सकता नहीं, कर्बला वालों का गम दिल से निकल सकता नहीं... की धुन बज रही थी। महिलाएं घर की खड़की और छत से नजारा देख रही थी। सुरक्षा को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात थे।

दूल्हा नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर के नेतृत्व में शिवाला निवासी सद्दाम अली दूल्हा बने थे। शिवाला घाट में गंगा स्नान की परंपरा को निभाते हुए दूल्हा रात करीब 10 बजे इमामबाड़ा में दाखिल हुआ। इसके बाद फातिहा की गई। देर रात नारा-ए-तकबीर अल्लाहो अकबर के साथ नॉल लिये दूल्हा दरवाजे से बाहर लाया गया। उसे सीधे रथखाना मैदान ले जाया गया। 

वहां से अन्य अंगारा से निकलते हुए जुलूस भदैनी, अस्सी, दुर्गाकुंड होता हुआ गौरीगंज पहुंचा। वहां पर कुछ देर विश्राम दिया गया। दूल्हे को पास से देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहा। लोग दूल्हे का एक झलक देखने के लिए धक्का मुक्की कर रहे थे। दूल्हे का जुलूस अपने कदीमी रास्ते होता भेलूपुर, रेवड़ीतालाब, रामापुरा, गिरजाघर, नईसड़क, औरंगाबाद, लल्लापुरा, फातमान अलसुबह पहुंचेगा।

इन रास्ते से होगी वापसी

दूल्हे का जुलूस वापसी में पितरकुंडा, चेतगंज, नईसड़क, दालमंडी, रेशम कटरा, कुंदीगर टोला, गोदौलिया, मदनपुरा, सोनारपुरा, छिपीटोला, अवधगर्वी होता हुआ शिवाला स्थित इमामबाड़ा में समाप्त होगा।

70 से अधिक दहकते अंगारे से गुजरा दूल्हा

12 किलोमीटर लंबे रास्ते में जगह-जगह लोग जुलूस आने के पहले ही दस-दस मन लकड़ी के अलाव जलाए गए थे। इस दौरान पहले दूल्हा अंगारों पर दौड़ता हुआ पार कर रहा था और फिर सब उसके पीछे-पीछे हजारों लोग चल रहे थे। रास्ते में 70 से अधिक स्थानों पर दहकते अंगारे से दूल्हे का जुलूस निकला। या अली या हुसैन कहते लोग दहकते अंगारे से निकल रहे थे।

कर्बला की जंग से जोड़ कर देखते हैं

जानकर बताते हैं कि एक हिंदू कुम्हार के बेटे को अचानक गंगा तट पर शिवाला घाट के पास पानी में एक घोड़े की नाल मिली और वह या हुसैन, या हुसैन चिल्लाते हुए भागने लगा। काफी देर तक भागने के बाद वह बेहोश हो गया। ऐसी मान्यता है कि उसे जो घोड़े की नाल मिली वह कर्बला के जंग से जुड़ी हुई रही होगी। इसी के बाद से हर साल किसी एक युवक को दूल्हा बनाया जाता है। कई युवक एक साथ बैठते हैं और बीच में नाल रखा होता है। मान्यता है कि एक रुहानी शक्ति किसी एक युवक पर आ जाती है और वह खुद उठकर नाल को उठा लेता है।