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गोला गोकर्णनाथ में उमड़ा आस्था का सैलाब, पौराणिक शिव मंदिर में किया जलाभिषेक,,,।

गोला गोकर्णनाथ में उमड़ा आस्था का सैलाब, पौराणिक शिव मंदिर में किया जलाभिषेक,,,।

छोटी काशी कहे जाने वाले गोला गोकर्णनाथ में सावन के पहले सोमवार पर शिवभक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। गोकर्णनाथ तीर्थ के पौराणिक शिव मंदिर में तड़के चार बजे से जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया। 

बम-बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारों के बीच हजारों भक्तों ने गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। भगवान भोलेनाथ से परिवार की खुशहाली के लिए कामना की। इसके अलावा लखीमपुर खीरी जनपद के सभी प्रमुख शिवालयों में जलाभिषेक के लिए भक्त उमड़े। ओयल स्थित प्राचीन मेंढक मंदिर में भी भक्तों की भीड़ रही। 

रामायण काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास 

शिवालयों की वजह से गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी के नाम से विख्यात है। यहां का पौराणिक शिव मंदिर उत्तर भारत के शिवभक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है। प्राचीन और अद्भुत शिवलिंग की स्थापना पर एक मान्यता प्रचलित है। 

बताते हैं कि त्रेतायुग में भगवान शिव रावण की तपस्या से प्रसन्न हुए। रावण भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाने लगा। भगवान शिव ने शर्त रखी कि उन्हें रास्ते में कहीं भी रखा तो वह उसी स्थान पर स्थापित हो जाएंगे। 

शर्त के अनुसार रावण शिव को लेकर लंका के लिए चला। रावण गोला गोकर्णनाथ के पास पहुंचा तो उसे लघुशंका का अहसास हुआ। रावण एक चरवाहे को इस हिदायत के साथ शिवलिंग देकर लघुशंका के लिए चला गया कि वह इसे भूमि पर नहीं रखेगा। काफी देर तक वापस न आने पर चरवाहे ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया। वापस आए रावण ने शिवलिंग उठाने की कोशिश की, लेकिन उठा नहीं सका। तब से शिवलिंग यहीं विराजमान है।