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संपादकीय :: भगवान प्रभु श्री रामचंद्र जी का राम भक्त रूद्र अवतार हनुमान जी द्वारा अति सुंदर  वर्णन ,,,।

संपादकीय :: भगवान प्रभु श्री रामचंद्र जी का राम भक्त रूद्र अवतार हनुमान जी द्वारा अति सुंदर वर्णन ,,,।

भगवान श्रीराम पूरी वानर सेना के साथ लंका पहुंच चुके थे, वहां एक सुबेल पर्वत था, युद्ध से एक दिन पहले उस पर्वत पर श्रीराम आराम की मुद्रा में बैठे हुए थे, उनके आसपास सभी लोग बैठे थे, रात हो चुकी थी.....रामायण में श्रीराम पूरी वानर सेना के साथ लंका पहुंच चुके थे। वहां एक सुबेल पर्वत था, युद्ध से एक दिन पहले उस पर्वत पर श्रीराम आराम की मुद्रा में बैठे हुए थे। उनके आसपास सभी लोग बैठे थे।रात हो चुकी थी। श्रीराम ने चंद्र को देखकर सभी से एक प्रश्न पूछा, 'चंद्र में जो काला दाग है, वह किस बात का है?'

सुग्रीव ने उत्तर दिया, 'ये पृथ्वी की छाया है।' क्योंकि सुग्रीव का बड़े भाई बालि से राज्य को लेकर झगड़ा हुआ तो उनके मन में पृथ्वी ही थी।

विभीषण ने कहा, 'राहु ने चंद्रमा पर प्रहार किया था, ये उसका निशान है।' विभीषण ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि उन्होंने अपने बड़े भाई रावण से लात खाई थी।

अंगद ने कहा, 'जब कामदेव की पत्नी रति का सुंदर मुख ब्रह्मा जी ने बनाया तो चंद्र से इतना हिस्सा ले लिया।' अंगद ने हिस्से की बात इसलिए की, क्योंकि बालि के बाद राजा अंगद को बनना था, लेकिन सुग्रीव को राजा बना दिया तो अंगद के हिस्से का अधिकार चला गया।

हनुमान जी ने कहा, 'श्रीराम जी की श्यामल छवि चंद्र में दिखाई दे रही है।' जिसके मन में जो होता है, वह वही बोलता है। हनुमान जी के मन में राम हैं तो उन्होंने राम जी की श्यामल छवि को चंद्र का दाग बताया।

सीख - हमारे मन में जो भी होगा, वो वाणी के रूप में कभी न कभी बाहर आ ही जाता है। इसलिए हनुमान जी से सीखें कि अपने मन में हमेशा अच्छी बातें, सकारात्मक विचार रखेंगे तो उसका अच्छा असर हमारी बोली पर भी होगा। हम हमेशा अच्छी बातें ही बोलेंगे। 
जय श्रीराम।।