वाराणसी : बाबा का श्रृंगार करती आ रही हैं रोहित माली की चार पीढ़ियां, आज सायंकाल एक लाख रुद्राक्ष से सजाया जाएगा गर्भगृह,,,।
राजराजेश्वर महादेव ने इस सावन अलग-अलग और मनोरम रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। बाबा विश्वनाथ ने अलौकिक स्वरूपों में श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा बरसाई और बाबा को ये भव्य रूप दिया रोहित माली ने।वाराणसी के चौक निवासी रोहित की चार पीढि़यां बाबा का भव्य श्रृंगार करती आ रही हैं। सावन के अंतिम सोमवार की शाम वह एक लाख रुद्राक्ष से स्वर्ण मंडित गर्भगृह, बाबा विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग और शिव-पार्वती की प्रतिमाओं का श्रृंगार करेंगे।
रविवार को उन्होंने बाबा के दिव्य धाम को नेपाल के पांच क्विंटल रुद्राक्ष से सजा संवार दिया। श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद पहली बार पूरे मंदिर परिसर की सजावट रुद्राक्ष से की गई है। शयन आरती के बाद मंदिर के रोहित माली ने सजावट का काम शुरू किया। मंदिर की दीवारों से लेकर चौखट को पूरे मनोयोग से रुद्राक्ष से सजाया।
श्री काशी विश्वनाथ, ताड़केश्वर महादेव और दंडपाणि समेत पूरा परिसर रुद्राक्ष के दानों से सजकर तैयार है। मंदिर परिसर को सजाने के लिए दानदाता शिवांश शर्मा ने नेपाल से रुद्राक्ष मंगवाया है। रविवार की दोपहर के बाद तीस बोरी रुद्राक्ष की मालाएं धाम में पहुंची।
बचपन से पिता के साथ कर रहे मंदिर की सजावट
बाबा विश्वनाथ का दरबार सजा रहे रोहित माली की चार पीढि़यां श्रद्धा भाव से यही काम करती आ रही हैं। पांचवीं पास रोहित का कहना है कि बाबा विश्वनाथ का ही आशीर्वाद है जो उनके परिवार को यह सौभाग्य मिला है। वह बचपन से ही अपने पिता सत्यनारायण वर्मा के साथ बाबा के मंदिर में सजावट का काम करते आ रहे हैं। इसके पहले उनके दादा नन्हकू माली और परदादा रामप्रसाद बाबा के धाम को सजाते थे। रोहित ने बताया कि शयन आरती के बाद वह बाबा का श्रृंगार शुरू करते हैं। इसमें उनके भाई कृष्णा वर्मा भी सहयोग करते हैं।
बाबा बटुक भैरव, मां संकठा देवी के साथ ही शहर के अन्य मंदिरों में भी रोहित व उनका परिवार ये काम करता है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में शृंगार के बाद वह मां विंध्यवासिनी के धाम में श्रृंगार के लिए जाएंगे। एक सितंबर को माता के जन्मोत्सव पर माताजी का श्रृंगार होगा।
इस सावन अब तक सात स्वरूपों में भक्तों ने किए हैं दर्शन
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि में सावन के आठ सोमवार पर भगवान के अलग-अलग स्वरूप में दर्शन हो रहे हैं और यह पहला मौका था। 10 जुलाई को पहले सोमवार पर बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा का श्रृंगार, दूसरे सोमवार को गौरी-शंकर स्वरूप में श्रृंगार, तीसरे सोमवार को अमृत वर्षा श्रृंगार और चौथे सोमवार को बाबा का भागीरथी श्रृंगार हुआ।
पांचवें सोमवार को तपस्यारत पार्वती श्रृंगार, छठवें सोमवार को शंकर-पार्वती और गणेश श्रृंगार और सातवें सोमवार को अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में भगवान शिव ने भक्तों को दर्शन दिए। अंतिम सोमवार को रुद्राक्ष शृंगार होगा। फिर 30 अगस्त को काशीपुराधिपति को काशी की जनता झूला झुलाएगी और बाबा का झूला श्रृंगार होगा।