Headlines
Loading...
गेटवे ऑफ इंडिया से भी ऊंचा है बिहार में बना यह द्वार, जानिए क्या है इसकी खासियत,,,।

गेटवे ऑफ इंडिया से भी ऊंचा है बिहार में बना यह द्वार, जानिए क्या है इसकी खासियत,,,।

गंगा का शांत किनारा, ठंडी हवाएं, आकर्षक गार्डन...अगर तीनों आपको एक साथ चाहिए तो पहुंच जाइए पटना के सभ्यता द्वार पर। दिल्ली के इंडिया गेट और मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया की तर्ज पर बिहार की राजधानी पटना में गंगा के किनारे बनाया गया है सभ्यता द्वार...जो अपने आप में जैन तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर और गौतम बुद्ध के संदेशों को समेटे हुए है। अनगिनत शासकों का केंद्र रहे इस ऐतिहासिक शहर पटना में बनाया गया सभ्यता द्वार लोगों को बिहार की गौरवगाथा सुना रहा है।

कहां है सभ्यता द्वार 

बिहार की राजधानी पटना में गांधी मैदान के उत्तर और अशोका इंटरनेशन कन्वेंशन सेंटर परिसर के ठीक पीछे गंगा के किनारे तैयार किया गया है 32 मीटर ऊंचा और 8 मीटर चौड़ा सभ्यता द्वार। कई मायनों में बेहद खास है सभ्यता द्वार। यह द्वार मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया (26 मीटर) से 6 मीटर और पटना के गोलघर (29 मीटर) से 3 मीटर अधिक ऊंचा है। यह एक प्रकार से बिहार का लैंडमार्क बन गया है।

सभ्यता द्वार में एक तरफ सम्राट अशोक और महात्मा बुद्ध तो दूसरी तरफ महावीर और मेगास्थनीज की वाणियों को स्थान दिया गया है। यह द्वार इतिहास (मगध साम्राज्य) और वर्तमान (आधुनिक बिहार) के बीच सेतु का काम कर रहा है। जानकारी के मुताबिक इस द्वार का परिसर 1 एकड़ में फैला हुआ है जिसको तैयार करने में लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत आयी है।

सभ्यता द्वार की वास्तुकला 

सभ्यता द्वार के सबसे ऊपर गुंबद के ऊपर अशोक स्तंभ की आकृति बनायी गयी है जो बिहार के इतिहास यानी मगध साम्राज्य को दर्शाता है। सभ्यता द्वार के बीच में तो विशाल द्वार है। इसके अलावा दोनों तरफ दो छोटे-छोटे द्वार बनाये गये हैं। सफेद और लाल बलुआ पत्थर से बने इस द्वार के चारों तरफ हर दिशा में मिश्रधातु से बने शेर का प्रतीक चिन्ह लगाया गया है। सभ्यता द्वार के चारों तरफ आकर्षक रोशनी से सजावट की गयी है, जो रात के समय गंगा मरीन ड्राइव की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।

संदेशों से सजाया गया है सभ्यता द्वार 

पटना यानी तत्कालिन पाट्लीपुत्र के विषय में यूनान के राजदूत मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में काफी कुछ लिखा है। मेगास्थनीज ने 2500 साल पुराने पटना का वर्णन करते हुए लिखा है कि गंगा और सोन नदी के संगम पर बसा यह नगर करीब साढ़े 9 मील लंबा और पौने 2 मील चौड़ा है। नगर के चारों तरफ दीवार है जिसमें अनेक फाटक और दुर्ग बनाए गये हैं। नगर के अधिकांश मकान लकड़ी के बने हुए हैं। भगवान बुद्ध का संदेश जो सभ्यता द्वार पर अंकित है वह कहता है, 'यह नगर आर्यावर्त (तत्कालिन भारत का नाम) का सर्वश्रेष्ठ नगर होगा और सम्पूर्ण आर्यावर्त का नेतृत्व करेगा। मगर इसे आग, पानी और आंतरिक मतभेजों का सदैव भय बना रहेगा।'

सम्राट अशोक का जो संदेश सभ्यता द्वार पर लिखा गया है, 'दूसरे धर्म का सम्मान करें, क्योंकि इससे अपने धर्म की प्रतिष्ठा बढ़ती है। इससे विपरित आचरण करने से अपने धर्म का प्रभाव तो घटता ही है, दूसरे धर्म की भी क्षति होती है।' महावीर का संदेश लिखा गया है, 'सभी जीवित प्राणियों को सम्मान देना अहिंसा है।'

लगायी गयी है अशोक की मूर्ति 

सभ्यता द्वार परिसर में मगध के सम्राट अशोक की मूर्ति भी स्थापित की गयी है, जिनकी राजधानी पाट्लीपुत्र ही थी। साल 2018 में इस द्वार का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने किया था। इस प्रोजेक्ट को तैयार होने में लगभग डेढ़ सालों का समय लग गया था। सभ्यता द्वार परिसर में बैठने के लिए कुर्सियों व बेंच की भी व्यवस्था है। इसे पटना के एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

पहले रखा जाना था अशोक द्वार नाम 

जानकारी के मुताबिक सभ्यता द्वार को तैयार करने का प्रस्ताव चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ रहे एस. के. सिन्हा ने दिया था, जो पटना के ही रहने वाले हैं। उन्होंने जो प्रस्ताव तैयार किया था उसमें इस द्वार का नाम सम्राट अशोक के नाम पर अशोक द्वार रखने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने ही इसका ब्लु प्रिंट और नक्शा भी तैयार किया था। बाद में इस द्वार का नाम अशोक द्वार के बदले सभ्यता द्वार किया गया।

बता दें, जब सम्राट अशोक ने गौतम बुद्ध के उपदेशों पर चलते हुए धम्म का प्रचार-प्रसार करना शुरू किया था तो उन्होंने पाट्लीपुत्र के महेन्द्रू घाट से ही अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए भेजा था।