मथुरा जन्माष्टमी 2023: साल में केवल एक बार होती है बांके बिहारी मंदिर में यह आरती,,,।
Janmashtami Mangala Aarti: जन्माष्टमी का पर्व का पूरे देश में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन ब्रज क्षेत्र में इसकी रौनक देखते ही बनती है। ब्रज क्षेत्र में जन्माष्टमी से कई दिन पहले ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं और पूरा ब्रज राधाष्टमी तक कान्हा जी की भक्ति में सराबोर नजर आता है।
ब्रज में जन्माष्टमी की रौनक देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं और मंदिरों में दर्शन करते हैं। ब्रज के लगभग हर मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव पूरे जोर-शोर से मनाया जाता है। लेकिन मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और वृंदावन का श्री बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का मुख्य केंद्र होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में साल में सिर्फ एक बार ही आरती होती हैं जो कि जन्माष्टमी के दिन की जाती है।
आइए जानते हैं इसकी वजह और महत्व.
बांके बिहारी मंदिर में साल में एक बार मंगला
बांके बिहारी मंदिर में भक्तों की भीड़ हमेशा देखी जाती है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां श्रद्धालुओं का भीड़ के चलते पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती। क्योंकि इस दौरान भक्त यहां साल में एक बार होने वाली मंगला आरती में हिस्सा लेने को उत्सुक रहते हैं। बता दें कि श्री बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल एक बार ही मंगला आरती होती है और देश-विदेश के भक्त इसमें शामिल होते हैं।
जन्माष्टमी के दिन होती है मंगला
बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल एक बार जन्माष्टमी के दिन ही मंगला यानि सुबह की आरती होती है। मंगला आरती भगवान कृष्ण के जन्म के बाद रात को 1 बजकर 55 मिनट पर होती है। वैसे बता दें कि समय में बदलाव ग्रह व नक्षत्र देखकर किया जाता है, मंगला के बाद सुबह 5.30 बजे फिर से दर्शन के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं।
बता दें कि इस साल बांके बिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 7 सितंबर को शुरू होगा और ऐसे में मंदिर में सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर दर्शन के लिए कपाट खोल दिए जाएंगे। कपाट खुलने के बाद सबसे पहले मंदिर में ठाकुर जी का श्रृंगार किया जाता है और उन्हें भोग लगाया जाता है, फिर 11 बजकर 55 मिनट पर राजभोग आरती के बाद कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
फिर शाम को 5 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 30 मिनट तक दर्शन किए जा सकते हैं। जन्माष्टमी के दिन ठाकुर जी का रात 12 बजे महाभिषेक आरंभ होता है और फिर दोबारा दर्शन के लिए कपाट खोले जाते हैं।