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नमाजे दुआ में हाथ उठता है, नमाजियों ने हथेलियां जमीन की तरफ क्यों की; जानें क्यों मस्जिद से बाहर पढ़ी नमाज,,,।

नमाजे दुआ में हाथ उठता है, नमाजियों ने हथेलियां जमीन की तरफ क्यों की; जानें क्यों मस्जिद से बाहर पढ़ी नमाज,,,।

ईद-बकरीद का मुबारक मौका नहीं और न जुमे की नमाज पर पहुंचने वाली ज्यादा भीड़ थी। लेकिन, इस बार नमाज मस्जिद में न होकर खुले मैदान में हो रही थी। आसमान के नीचे। रब से गिड़गिड़ाकर दुआ मांगी जा रही थी, इसलिए अमूमन जैसे दुआओं में हाथ उठते हैं, वैसे नहीं बल्कि हथेलियों को जमीन की ओर झुकाकर गुजारिश की जा रही थी। 

बारिश के मौसम में ठीक से बारिश हुई नहीं और अब पिछले 48 घंटों से जब बिहार के ज्यादातर हिस्सों में बारिश हो रही तो भी बेतिया से बरसात रुसवा है। आज शनिवार को जिले के गढ़वा भोगाड़ी सहित तिरवाह क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के 500 लोगों ने विशेष तरह की नमाज पढ़ी, जिसे नमाज-ए-इस्तिस्का कहा जाता है।

         गिड़गिड़ाकर रब से दुआ मांगी गई

नमाज अतिउल्लाह की अध्यक्षता में बेतिया के तिरवाह क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अदा की। लगभग एक घंटा तक धूप में अल्लाह की इबादत करते हुए दुआ मांगी गई। अतिउल्लाह मौलाना इम्तियाक ने बताया कि इसे पढ़ने के बाद लोगों ने गिड़गिड़ा कर रब से बारिश के लिए दुआ मांगी है। जब भी सूखे की स्थिति बनती है तो लोग इस तरह से नमाज पढ़ते हैं। नमाज ठीक साढ़े 10:30 बजे शुरू हुई। इसमें 500 के करीब नमाजी थे।

     दो रकात पढ़ी गई, फिर हुई खास दुआ

इस्तिस्का नमाज दो रकात पढ़ी गई। नमाज के बाद बारिश के लिए खास दुआ भी हुई। अमूमन दुआ में हाथों को बुलंद किया जाता है, लेकिन नमाज-ए-इस्तिस्का में हथेलियों को नीचे जमीन की तरफ कर दुआ मांगी गई। नमाज और दुआ 11 बजे खत्म हुई। समसुल जोहा ने बताया कि जब जिले में सूखे के आसार हो, पानी नहीं बरस रहा हो या कम बरस रहा हो, शहर में पानी की किल्लत हो, पानी के स्रोत कम हों तो ये नमाज पढ़ी जाती है। ये नमाज पैगंबर-ए-अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. की सुन्नत है। इस खास नमाज को मस्जिद में नहीं, बल्कि खुले मैदान में सूरज निकलने के बाद पढ़ना है। शहर में गर्मी से लोग परेशान हैं। बारिश नहीं होने से सूखे के आसार हैं।