यूपी,,बागपत :: त्रिलोक तीर्थ धाम में होते हैं तीन लोक के दर्शन, इस मंदिर की ऊंचाई के आगे कुतुबमीनार भी है छोटा,,,।
रिपोर्ट,वरिष्ठ पत्रकार व ब्यूरो,,(विवेक जैन)। यूपी के प्रमुख पर्यटक जिलों में से एक बागपत है। कभी ये शहर मेरठ का एक तहसील हुआ करता था। लेकिन बाद में इसे जिला घोषित कर दिया गया। पश्चिमी यूपी के इस शहर को एक जमाने में व्यगप्रस्थ के नाम से भी जाना जाता था। दरअसल इसका अर्थ बाघों की भूमि है। अगर इस शहर के तीर्थ स्थलों की बात करें तो यहां कई सारे धार्मिक स्थल हैं। लेकिन जो सबसे खास है वो है त्रिलोक तीर्थ धाम।
त्रिलोक तीर्थ धाम जैन धर्मावलंबियों के आस्था का केंद्र है। यहां हर साल देश-दुनिया से हजारों जैन धर्म के लोग घूमने आते हैं। इस मंदिर को जैन प्रतीक के आकार का बनाया गया है। यहां लाइट और साउंड सिस्टम के साथ ही पार्क, झूले, कांफ्रेस हॉल जैसी सुविधाएं देखने को मिलती हैं। मंदिर की खूबसूरती इसकी संरचना से झलकती है।
ये मंदिर कुतुबमीनर से भी ऊंचा है। जहां कुतुबमीनार की ऊंचाई 239.5 फीट है, वहीं यह मंदिर 317 फीट ऊंचा है। जिसमें 100 फीट जमीन से नीचे और 217 फीट जमीन से ऊपर है। मंदिर के शीर्ष पर पद्मासन मुद्र में 8 धातुओं से बनी ऋषभदेव की प्रतिमा है। ये मूर्ति 31 फीट ऊंची है। त्रिलोक तीर्थ में तीन लोक यानी अधरलोक, मध्यलोक और उधर्वलोक का चित्रण है। त्रिलोक तीर्थ धाम के परिसर में ध्यान केंद्र और आधुनिक सुविधाओं से लेस धर्मशाला भी है।
जमीन के नीचे से मिली थी पार्श्वनाथ की मूर्ति
ऐलक अंतककीर्ति महाराज बागपत के बड़ागांव गए हुए थे। जब वह एक टीले पर बैठ कर ध्यान लगाया तो उन्हें पार्श्वनाथ की एक झलक देखने को मिली। तब उन्होंने उस टीले को खोदने को संकेत दिए। लगभग 12 फीट की खुदाई के बाद जमीन के नीचे से पार्श्वनाथ की प्रतिमा मिली। इसके 35 साल बाद इसके पास स्थित बाग से आदिनाथ भगवान, विमलनाथ भगवान, पार्श्वनाथ भगवान और महावीर भगवान की चार प्रतिमाएं मिली। इन्हें चारों ओर के चार कोणों पर वेदियों का निर्माण कर स्थापित कर दिया गया।