वाराणसी: विश्वमोहन की वीणा से मां कूष्मांडा का दुर्गाकुंड दरबार अलौकिक रूप से हुआ झंकृत,,,।
वाराणसी दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा के दरबार में मंगलवार को संगीत की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। प्रख्यात कलाकार पं. विश्वमोहन भट्ट की वीणा की धुनों ने भक्तों को संगीत के स्वरों से आह्लादित किया। सधे कलाकारों के स्वरों की मिठास तो तबले की थाप और नृत्य ने सबको भावविभोर कर दिया। मौका था छह दिवसीय संगीतमय संगीत महोत्सव की पहली निशा का।
पं. जवाहरलाल व साथी कलाकारों के सुमधुर शहनाई वादन से समारोह का शुभारंभ हुआ। इसके बाद पं. विश्व मोहन भट्ट ने अपने बेटे पं. सलिल भट्ट संग मां के श्रीचरणों में आशीष लेकर मंच संभाला तो श्रोताओं ने तालियों से अभिवादन करते हुए मां के जयकारे लगाए। फिर पिता-पुत्र की जोड़ी ने मोहन और सात्विक वीणा से सभी को अपना मुरीद बना लिया और देर रात सुमधुर धुनों से उन्हें झूमाते रहे। उन्होंने वीणा पर राजजोग के बाद अलाप, जोड़, झाला पेश किया। फिर सात्विक वीणा से स्वर संवाद कर सभी को आनंदित किया। पहाड़ी के बाद भोपाली धुन से वादन को विराम दिया।
बनारस घराने के प्रख्यात तबला वादक शुभ महाराज ने भी श्रोताओं को तबले की बारीकियों से रूबरू कराया। तीनताल में बनारस घराने की उठान, अलाप, रेला, गत, बंदिश बजायी। तबले पर हर्षवर्धन व हारमोनियम पर मोहित साहनी ने संगत की।
डॉ. अर्चना आदित्य मस्कर की प्रभावी प्रस्तुति रही। उन्होंने राग सालग वराली में विलंबित तीनताल की बंदिश पेश की। बोल थे- तेरो ही नाम भवानी..., मध्यलय तीनताल में भजन के बाद मराठी में अबीर गुलाल अवहईत हव...से आदि से मां कूष्मांडा के चरणों में हाजिरी लगाई। तबले पर सिद्धांत मिश्रा, हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय ने साथ दिया।
अभिषेक मिश्रा ने तीनताल में रेला, कायदा, उठान सहित प्राचीन बंदिशे बजाकर प्रभावित किया। सारंगी पर अनीश मिश्रा ने संगत की। बनारस घराने के ही पं. गणेश प्रसाद मिश्र ने भी स्वरों से मां का वंदन किया। उन्होंने अहीर भैरव में बड़ा ख्याल हे जोगिया तेरे द्वारे आए हैं..., छोटा ख्याल में दरस भए बिहारी के..., राग भैरवी व दादरा में आया करो जरा कह दो सांवरिया से... सुनाकर सभी मां को भी विभोर कर दिया।
स्वरमंडल पर स्वरांश मिश्र, तानपुरे पर शुभ मिश्र, तबले पर पं. ललित, सारंगी पर अनीश मिश्रा व बांसुरी पर सुनील ग्यवाली ने संगत की। डॉ. विधि नागर ने कथक, देवाशीष डे ने गायन, आस्था गोस्वामी ने गायन, राघवेंद्र नारायण ने गिटार व तबले की जुगलबंदी देर रात तक प्रस्तुतियां हुईं। संयोजन गीतकार कन्हैया दुबे केडी तथा संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।
संगीत समारोह में आज का प्रोग्राम
प्रेमचंद हम्बल व माला हम्बल का गायन, राजेंद्र प्रसन्ना बांसुरी वादन, रिंपा शिवा का तबला वादन, विशाल कृष्ण का कथक, रोनू मजूमदार-ऋषिकेश मजूमदार का बांधुरी, यशवंत वैष्णव का तबला वादन बुधवार को होगा। समारोह प्रति शाम सात बजे से शुरू होगा।
मां की सजी अप्रतिम झांकी, भक्त हुए निहाल
दुर्गाकुंड स्थित मां कूष्मांडा की अप्रतिम झांकी सजी तो भक्त दर्शन कर निहाल हुए। देर रात तक जयकारे गूंजते रहे। फूल-पत्तियों और रंग-बिरंगे लाइटों से सजा मां का दरबार अलग आभा निखर रही थी। मंदिर के महंत पं. आनंद गोपाल द्विवेदी के आचार्यत्व में मां का शृंगार हुआ। पंचामृत स्नान कराकर नूतन वस्त्र व आभूषण धारण कराया गया। स्वर्ण छत्र चढ़ाकर मोतियों की माला पहनाकर विविध सुगंधित फूलों से मोहक शृंगार हुआ। अंत में श्रीकाशी विश्वनाथ दल महाकाल डमरू दल के कलाकारों द्वारा डमरू की निनाद के मां की आरती उतारी गई।