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G20 Summit 2023: कोणार्क चक्र के बारे में पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को बताया, देखें वीडियो, जानिए क्या है,,,।

G20 Summit 2023: कोणार्क चक्र के बारे में पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को बताया, देखें वीडियो, जानिए क्या है,,,।

G20 Summit 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि वैश्विक भलाई के लिए हम सब साथ मिलकर चलें। जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत मंडपम पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को पीएम मोदी ने ओडिशा के कोणार्क व्हील के बारे में बताया। 

कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। 24 तीलियों वाला पहिया भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अपनाया गया है और यह भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। जी20 अध्यक्षता देश के अंदर और बाहर, दोनों जगह समावेश का प्रतीक बन गई है।

इस दौरान पृष्ठभूमि में ओडिशा के पुरी स्थित सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति ने स्वागत स्थल की शोभा बढ़ाई। कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। कुल 24 तीलियों वाले इस पहिये को तिरंगे में भी दर्शाया गया है।यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। इस चक्र का घूमना 'कालचक्र' के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी विश्व के शीर्ष नेताओं की दो दिवसीय बैठक में शामिल होने के लिए शनिवार सुबह यहां स्थित जी20 शिखर सम्मेलन स्थल भारत मंडपम पहुंचे। इस दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल सहित अन्य अधिकारी उनके साथ थे।

कोविड-19 के बाद विश्व में एक बहुत बड़ा संकट विश्वास के आभाव का आया है। युद्ध ने इसको और गहरा किया है। जब हम कोविड को हरा सकते हैं तो हम आपसी विश्वास में आए इस संकट पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं... यह हम सबका साथ चलने का समय है इसलिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का मंत्र हम सबके लिए पथ प्रदर्शक बन सकता है।

वैश्विव अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल हो, उत्तर और दक्षिण में डिवाइड हो, पूर्व और पश्चिम की दूरी हो, भोजन, ईंधन और उर्वरक का प्रबंधन हो, आतंकवाद साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा या जल सुरक्षा, हमें भावी पीढ़ियों के लिए इसका ठोस समाधान ढूंढना होगा।