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इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला, कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज जमीन को बांके बिहारी ट्रस्ट के नाम करने का आदेश,,,।

इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला, कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज जमीन को बांके बिहारी ट्रस्ट के नाम करने का आदेश,,,।

उत्तर प्रदेश के मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज किए जाने के मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने मंदिर की जमीन की सरकारी दस्तावेजों में गलत तरीके से हुई सभी एंट्रियों को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कभी कब्रिस्तान तो कभी दूसरे नाम पर गलत तरीके से हुई एंट्रियों को शून्य घोषित करते हुए उन्हें रद्द किए जाने का आदेश जारी किया है।

हाईकोर्ट ने रेवेन्यू रिकॉर्ड में एक महीने के अंदर जमीन मंदिर के नाम दर्ज किए जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मथुरा जिले की छाता तहसील की एसडीएम को मंदिर की जमीन को 30 दिनों में श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट के नाम दर्ज किए जाने का आदेश दिया है। ट्रस्ट ही मंदिर का संचालन करता है। जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई।

सियासी दबाव में जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज करने का आरोप 

श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। ट्रस्ट की ओर से शुक्रवार को अदालत में संशोधित अर्जी दाखिल की गई थी। अदालत ने इसी अर्जी पर सुनवाई करते हुए उसे मंजूर कर लिया और आदेश जारी किया। ट्रस्ट की याचिका में आरोप लगाया गया था कि बांके बिहारी मंदिर की जमीन को सियासी दबाव में कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर दिया गया था।

पुरानी आबादी भी बताई गई थी जमीन 

साल 2004 में जब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी तो उनकी पार्टी के यूथ ब्रिगेड के नेता भोला खान पठान ने सीएम को संबोधित एक अर्जी दी थी। इस पर तत्कालीन मुख्य सचिव ने आदेश दिया था। सरकार के आदेश के बाद ही मंदिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गई थी। मंदिर ट्रस्ट ने इसके खिलाफ कई बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, बाद में यह जमीन पुरानी आबादी बता दी गई।

पिछले साल हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका  

यह मामला वक्फ बोर्ड और दूसरे विभागों तक भी गया। 8 सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में भी यह साफ हो गया कि जमीन मनमाने तरीके से कब्रिस्तान के नाम दर्ज की गई। इसके बावजूद जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम वापस नहीं दर्ज की गई। ट्रस्ट ने इस पर पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 

इसी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी। पिछले महीने हुई सुनवाई में अदालत ने छाता तहसील की एसडीएम और अन्य अफसरों को भी कोर्ट में तलब कर लिया था। मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव के प्लॉट नंबर 1081 से मामला जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल से ही गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था।