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मंदिर के दानपात्र में मिला PM मोदी का लिफाफा, 8 महीने बाद पुजारी ने खोला तो निकले इतने रुपये,,,।

मंदिर के दानपात्र में मिला PM मोदी का लिफाफा, 8 महीने बाद पुजारी ने खोला तो निकले इतने रुपये,,,।

राजस्थान के भीलवाड़ा में प्रसिद्ध गुर्जर समाज के आराध्य स्थल मालासेरी डूंगरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लिफाफा खोला गया है। इस लिफाफे में 21 रुपये की दान राशि निकली है जिसमें एक 20 रुपये का नोट है और एक सिक्का है। प्रधानमंत्री के इस लिफाफे को लेकर सभी को बहुत उत्सुकता थी। सभी के मन में पिछले करीब 8 महीने से यह सवाल था कि आखिर पीएम मोदी ने मंदिर को कितनी दान राशि दी है। इसका जवाब आखिरकार सभी को मिल ही गया।

जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल जनवरी में जिले के असींद तहसील में स्थित मालासेरी डूंगरी गए थे। यहां उन्होंने पूजा पाठ किया था और मंदिर के दानपात्र में एक सफेद रंग का लिफाफा डाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस लिफाफे पर सभी की नजरें थीं। लेकिन, मंदिर के नियमानुसार दानपात्र को साल में सिर्फ एक ही बार खोला जाता है। इसलिए हाल ही में इस दानपात्र को खोला गया है। दानपात्र में करीब 19 लाख रुपये में मिले हैं।

अभी भी दानपात्र में मिले कुल दानराशि की गितनी की जा रही है। लेकिन, इसी बीच दानपात्र में तीन लिफाफे भी मिले हैं। मंदिर के पुजारी ने दावा किया है कि तीनों लिफाफे अलग रंग के मिले हैं जिसमें पीएम मोदी का लिफाफा सफेद रंग का था। पुजारी ने दानपात्र से निकालकर इस लिफाफे को सभी के सामने खोला। इसकी वीडियो भी रिकॉर्ड की गई है। सभी को बहुत उत्सुकता थी कि आखिरी पीएम मोदी के लिफाफे में क्या निकलता है।

पुजारी ने सभी के सामने इस लिफाफे को उठाया और दिखाया। इसके बाद उन्होंने इस सफेद रंग के लिफाफे को खोला। लिफाफे के अंदर की राशि देखकर सभी हैरान रह गए। पुजारी हेमराज पोसवाल ने बताया है कि वीडियो में पीएम मोदी को सफेद रंग का लिफाफा डालते हुए देखा गया था इसी से अंदाजा लगाया गया है कि यही लिफाफा पीएम मोदी ने डाला था। उन्होंने यह भी बताया कि जो तीन लिफाफे दानपात्र से मिले हैं उनमें से एक में 101 रुपये, एक में 2100 रुपये और सफेद लिफाफे में 21 रुपये निकले हैं।

भगवान देवनारायण की जन्मस्थली

मालासेरी डूंगरी गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण की जन्मभूमि मानी जाती है। बताया जाता है कि भगवान देवनारायण की मां ने 1111 साल पहले इसी जगह पर तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान विष्णु स्वयं देवनारायण के रुप में यहां पर प्रकट हुए थे। यह वजह है कि पूरे गुर्जर समाज की इस मंदिर में विशेष आस्था है।