वाराणसी :: 22 महीने में गंगा में डूबने से 83 की मौत; इस लापरवाही से एक साल में 25 फीसदी बढ़ा आंकड़ा देखें और पढ़ें,,,।
वाराणसी :: प्रोटोकॉल में लापरवाही से गंगा घाटों पर हादसे बढ़े हैं। 22 महीने में ही गंगा में डूबने से 83 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रशासनिक रिकॉर्ड के मुताबिक, एक साल में ही मौत का आंकड़ा 25 फीसदी बढ़ा है। इससे अफसर चिंतित हैं। अब सतर्कता बढ़ाकर हादसे रोकने की पहल की जा रही है। इसके लिए 11 बिंदुओं की कार्ययोजना बनाई गई है।
अपनी अद्भुत छटा से दुनियाभर के सैलानियों को लुभाने वाले काशी के गंगा घाट खतरनाक हो गए हैं। दर्शन-पूजन करने आने वाले श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने उतरते हैं, लेकिन तमाम लहरों के साथ बह जाते हैं। वर्ष 2022 के दौरान गंगा में डूबने से 37 लोगों की मौत हुई थी।
जनवरी से अब तक (वर्ष 2023) 46 मौतें हो चुकी हैं। इस बार दसवें महीने में ही पिछले साल से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसका संज्ञान शासन, प्रशासन ने लिया है। अब 11 बिंदुओं पर कार्ययोजना बनाकर अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी तय की है। प्रोटोकॉल में लापरवाही पर नगर निगम की जिम्मेदारी भी तय की गई है।
23 महीने में आए 22 करोड़ पर्यटक
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद वाराणसी में सैलानियों की संख्या में बढ़ी है। 23 महीने में ही 12 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए हैं। विश्वनाथ धाम जाने वाले ज्यादातर श्रद्धालु गंगा घाट जरूर जाते हैं। गंगा में डुबकी का पुण्य लाभ भी लेते हैं।
इस प्रोटोकॉल का पालन नहीं
- गंगा घाट पर स्नान या पानी में उतरने वालों के लिए चेतावनी के उचित उपाय नहीं ।
- जिन घाट की दीवारों पर चेतावनी बोर्ड गले हैं, वह दिखते ही नहीं।
- पानी में उतरने व गहराई तक जाने वालों को रोकने की व्यवस्था नहीं।
- सभी घाटों पर सतर्कता के बोर्ड नहीं लगाए गए।
उपजिलाधिकारी की अगुवाई में बनी समिति
लापरवाही में सुधार के लिए उप जिलाधिकारी की अगुवाई में समिति बनाई गई है।
इसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल पुलिस, जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग और नगर निगम के लिए कार्ययोजना भी भेजी गई है।
इस कार्ययोजना से राहत की उम्मीद
- पिछले तीन साल में डूबने की घटनाएं जहां ज्यादा हुईं, उनका चयन।
- घाट के हिसाब से गोताखोरों की मैपिंग व सूचना।
- घटना स्थल के आसपास चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे, जो स्पष्ट दिखाई देगा।
- सभी घाटों पर सार्वजनिक सूचना की व्यवस्था।
- जलक्रीड़ा कर रहे लोगों को रोका जाएगा।
- जिन घाटों पर ज्यादा घटनाएं हो रही हैं, वहां एलईडी स्क्रीन के जरिये बचाव की जानकारी दी जाएगी।
- सभी घाटों पर प्रकाश की व्यवस्था होगी।
भीड़ वाले घाटों पर जेटी का प्रयोग
जिन घाटों पर भीड़ ज्यादा होती है, वहां जेटी पर स्नान की व्यवस्था की जाएगी। जेटी में ही कुंड बनाए जाएंगे। अलग से गंगा में उतरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए नाविकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी नावों का पंजीकरण, क्षमता का निर्धारण किया जाएगा।
गंगा में डूबने की घटनाओं को रोकने के लिए सभी जिम्मेदार विभागों के साथ कार्ययोजना बनाई गई है। इस पर अमल कराने के साथ ही निगरानी भी कराई जाएगी।
-वंदिता श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी वित्त एंव राजस्व वाराणसी।।