महिला उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के लिए ईरान की महिला पत्रकार नर्गिस मोहम्मदी को मिला नोबेल शांति पुरस्कार,,,।
साल 2023 के नोबेल शांति पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। इस साल ईरान की ऐक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को यह पुरस्कार दिया गया है। मोहम्मदी को यह पुरस्कार ईरान में महिलाओं की हालत को बेहतर बनाने के लिए किए गए संघर्ष के बदले दिया गया है। मोहम्मदी ने ईरान में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और लोगों की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। गौरतलब है कि शांति का नोबल प्राइज जीतने वाले को एक मेडल, एक डिप्लोमा, 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन की रकम मिलती है।
फिलहाल जेल में हैं मोहम्मदी
51 साल की मोहम्मदी ईरान में मानवाधिकार और महिला अधिकारों के लिए जमकर आवाज उठाती हैं। फिलहाल वह तेहरान की बेहद खतरनाक मानी जाने वाली इविन जेल में 10 साल की सजा काट रही हैं। उनके खिलाफ सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप है। पिछले 30 साल में नरगिस मोहम्मदी को उनके लेखन और आंदोलन के लिए सरकार ने उन्हें कई बार सजा दे चुकी है। अगर आंकड़ों की बात करें तो न्यायपालिका ने मोहम्मदी को पांच बार दोषी ठहराया है, 13 बार गिरफ्तार किया है। इसे दौरान उन्हें कुल 31 साल की जेल और 154 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई है। उनके पति ने बताया कि इस साल उनके खिलाफ तीन और मामले शुरू किए गए हैं, जिसमें उन्हें अतिरिक्त जेल हो सकती है।
मोहम्मदी के पति, 63 साल के तगी रहमानी हैं। वह भी एक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। रहमानी भी ईरान में 14 साल की जेल काट चुके हैं। इसके बाद वह अपने जुड़वां बच्चों के साथ निर्वासन में फ्रांस में रह रहे हैं। सजा के लगातार सिलसिले के चलते नरगिस मोहम्मदी को अपने परिवार और बच्चों से लगातार दूर रहना पड़ा है। उन्होंने अपने 16 साल के ट्विन्स अली और कियाना की आवाज साल भर पहले सुनी थी। अगर बच्चों से मुलाकात की बात करें तो यह हुआ था आठ साल पहले।
ऐसे हुई लड़ाई की शुरुआत
मोहम्मदी का बचपन जंजान की सेंट्रल सिटी में एक मिडिल क्लास परिवार में गुजरा। उनके पिता एक किसान थे और खाना बनाने का काम करते थे। हालांकि उनकी मां का परिवार राजनीति से जुड़ा था। जब 1979 में इस्लामिक क्रांति ने राजशाही का अंत किया तो उनके ऐक्टिविस्ट मामा और दो कजिन्स भी गिरफ्तार हुए थे। मोहम्मदी ने सिटी ऑफ काजविन में न्यूक्लियर फिजिक्स की पढ़ाई की। यहां पर वह किसी महिला छात्र संगठन से जुड़ना चाहती थीं, लेकिन वहां ऐसा कुछ था नहीं। इसके बाद नरगिस ने खुद ही इस तरह के संगठन बनाए। पहले एक महिला हाइकिंग ग्रुप और एक सिविक एंगेजमेंट ग्रुप। कॉलेज में ही नरगिस की मुलाकात अपने पति से हुई थी।