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श्रीराम संस्कृत से आचार्य, तो रावण बीएड डिग्रीधारी शिक्षक, लक्ष्मण बीएससी के है छात्र, असल जिंदगी में ऐसी है कलाकारों की,,,।

श्रीराम संस्कृत से आचार्य, तो रावण बीएड डिग्रीधारी शिक्षक, लक्ष्मण बीएससी के है छात्र, असल जिंदगी में ऐसी है कलाकारों की,,,।

हाथरस शहर में चल रहे रामलीला महोत्सव में अभिनय करने आए कलाकारों की पर्दे के पीछे की जिंदगी आम लोगों जैसी ही है। श्रीराम का किरदार निभा रहे कलाकार संस्कृत से आचार्य हैं, तो रावण का अभिनय करने वाले कलाकार बीएड डिग्रीधारक शिक्षक हैं। कुछ कलाकार जीविका चलाने के लिए इस कला से जुड़े हैं, तो कुछ शौक के लिए। रामलीला और रासलीला का मंचन करने वाले इन कलाकारों को कई नियमों का भी पालन करना पड़ता है। 

"केसरी न्यूज नेटवर्क" प्रतिनिधि से इन कलाकारों ने अपनी पर्दे के पीछे की जिंदगी के राज साझा किए।

संस्कृत से आचार्य भगवत जी निभाते हैं राम का किरदार

श्रीराम का अभिनय कर रहे भगवतजी ने बताया कि उन्होंने संस्कृत से आचार्य की उपाधि ली है। जीवन यापन के लिए भागवत कथा सहित अन्य आयोजनों में भी वह प्रतिभाग करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु का किरदार निभाने के दौरान सभी मर्यादाओं का भी ध्यान रखना पड़ता है। आज के समय में लोग रामलीला का मंचन देखने के लिए उत्सुक हैं। 

बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र हैं लक्ष्मण

लक्ष्मण का किरदार निभा रहे मोनू मूल रूप से वृंदावन के निवासी हैं। मोनू ने बताया कि उनके परिवार में शुरू से ही श्रीरामलीला व श्रीकृष्ण लीला का मंचन किया जाता है। परिवार से ही यह उन्हें कला विरासत में मिली है। रामलीला और रासलीला में मंचन करने के लिए उनमें उत्साह रहता है। वर्तमान में वह बीएससी द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत हैं। 

भरत इंटर, तो शत्रुघ्न आईटीआई पास 

रामलीला में भरत का किरदार निभा रहे हीरा इंटर पास हैं तो शत्रुघ्न का अभिनय करने वाले हरिओम आईटीआई से फिटर का प्रशिक्षण लिए हुए हैं। हरिओम ने बताया कि परिवार में सभी लोग धार्मिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं। वह इस परंपरा को जीवित रखना चाहते हैं। हीरा ने बताया कि भरत का किरदार निभाने से उन्हें सुखद अनुभूति होती है। 

शिक्षक हैं रावण का किरदार निभाने वाले हरिश्चंद्र

रावण का किरदार निभाने वाले हरिश्चंद्र ने बताया कि उन्होंने बीएड तक पढ़ाई की है। कुछ परीक्षाएं दी थीं, लेकिन सरकारी शिक्षक नहीं बन सके। फिलहाल में एक निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य करते हैं। रावण का किरदार वह लंबे समय से निभाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस किरदार के बाद स्कूल शुरुआत में कुछ दिनों तक लोगों ने चर्चा की थी, लेकिन अब श्रीराम से संवाद के दौरान कुछ अलग महसूस होता है। इस मंच ने बहुत सम्मान भी दिलाया है। 

अविवाहित बनते हैं श्रीराधाकृष्ण के स्वरूप

श्रीरामलीला व कृष्णलीला मंडली के संचालक मोहन श्याम भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान दौर में रामलीला देखने वालों की भीड़ में इजाफा हुआ है। सोशल मीडिया व अन्य माध्यम आज भी इस मंचन की जगह नहीं ले सके हैं। उन्होंने बताया कि नए कलाकार इस मंचन में आ रहे हैं। हमारी मंडली का यह सिद्धांत है कि हम लोग विवाह होने से पूर्व तक ही श्रीकृष्ण व राधा के स्वरूप का मंचन कराते हैं। शादी के बाद श्रीकृष्ण व राधा स्वरूप का मंचन नहीं कराया जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे सभी पात्र ब्राह्मण हैं। मंचन के दौरान सभी कलाकारों को ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है, क्योंकि यह कर्म व धर्म की लीला है।