तीन नवंबर से काशी में शुरू होगी संस्कृति संसद, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने किया शुभंकर का लोकार्पण,,,।
वाराणसी :: अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और काशी विद्वत परिषद की ओर से तीन से पांच नवंबर तक काशी में संस्कृति संसद महोत्सव का आयोजन होगा। इसमें देशभर के संतों का जमावड़ा लगेगा। तीन दिवसीय संस्कृति संसद के शुभंकर का लोकार्पण बुधवार को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया।
रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में होने वाले आयोजन में देश के करीब 600 जिलों से युवा, विद्वान सहित अन्य लोग शामिल होंगे। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने लोकार्पण समारोह में कहा कि सनातन की रक्षा हम सभी की जिम्मेदारी है। सनातन पर अर्नगल बातें करने वालों को यह समझना चाहिए कि यह अस्तिव, संस्कृति के रूप में सृष्टि के आरंभ से मानव सभ्यता की अब तक की यात्रा का प्रमाण है।
सनातन पर अनर्गल बातों का कोई मतलब नहीं
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ सभागार में शिवप्रताप शुक्ल ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान सनातन संस्कृति के माध्यम से किया जा सकता है। यह बहुत बड़ा आधार है। कहा कि हमारी प्राचीन सनातन संस्कृति इतनी प्राचीनतम है कि वह सभी को सत्कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
हमने कभी पंथ, संप्रदाय, मजहब के आधार पर मनुष्य को अलग करने की कभी कोशिश नहीं की। हमारा धर्म केवल मानव ही नहीं जीवों, वनस्पतियों के लिए कल्याणकारी है। इसी वजह से इसे सनातन कहते हैं। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि सनातन संस्कृति पर टिप्पणी करने वालों को इसकी महत्ता की जानकारी नहीं है। इस तरह के अनर्गल बातों का कोई मतलब नहीं होता है।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्र स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखण्डता के उद्घोष के लिए संस्कृति संसद में सनातन के सभी 127 सम्प्रदायों के संतों की जुटान होगी।
सनातन धर्म पर हमले का देना होगा मुंहतोड़ जवाब
टूलकिट के माध्यम से सनातन धर्म पर जो हमले किए जा रहे हैं उसका मुंहतोड़ उत्तर संस्कृति संसद में दिया जायेगा। चकिया से भाजपा विधायक कैलाश खरवार ने कहा वनवासी समाज के लोगों को बरगला कर धर्मान्तरण का षड्यंत्र चल रहा है। इसका भी एकजुटता के साथ जवाब देना होगा। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि सनातन संस्कृति से युवा जुड़ रहे है।
उनमें जागरूकता आई है। भारत को ज्ञान के केन्द्र के रूप में स्थापित करना मुख्य उद्देश्य है। कार्यक्रम का संचालन गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) गोविंद शर्मा, धन्यवाद ज्ञापन काशीविद्वत परिषद् के महामन्त्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने किया।