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प्रयागराज :: भ्रूण हत्या में मारे गए बच्चियों की मोक्ष के लिए अरेल संगम में श्रद्धा तर्पण का हुआ कार्यक्रम, सरदार पतविंदर सिंह,,,।

प्रयागराज :: भ्रूण हत्या में मारे गए बच्चियों की मोक्ष के लिए अरेल संगम में श्रद्धा तर्पण का हुआ कार्यक्रम, सरदार पतविंदर सिंह,,,।

भ्रूण हत्‍या में मारी गई कन्‍याओं के मोक्ष के लिए अरैल संगम मे हुआ श्राद्ध तर्पण !!!

घाट में उपस्थित श्रद्धालुओं को ये संकल्प भी दिलवाते रहे की न भ्रूण हत्या करेंगे और न करने देंगे ये महापाप है !!!
  
नैनी प्रयागराज/भ्रूण हत्‍या में मारी गई कन्‍याओं के मोक्ष के लिए अपराध बोध के साथ प्रयागराज के अरैल संगम तट पर में श्राद्ध तर्पण,कोख में ही कन्‍या की जानकारी होने के बाद भारत में भ्रूण हत्‍या करने की घटनाओं की वजह से भ्रूण में मारी गई कन्‍याओं का श्राद्ध और तर्पण नहीं होता है। ऐसे में प्रयागराज के अरैल संगम तट पर में ऐसी अजन्‍मी बच्चियों के लिए तर्पण किया गया।
पितृपक्ष का समय चल रहा है इन दिनों लोग अपने पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए लगातार पिंड दान कर रहे है। पितरों को मोक्ष मिले इसलिए पंडितों को दान दे रहे है। 

प्रयागराज के अरैल संगम तट पर सरदार पतविंदर सिंह ने गर्भ में मारी गयी बेटियों का पिंड दान अपने सहयोगियों संजय श्रीवास्तव, पंडित दामोदर त्रिपाठी, बाबूजी यादव, राजा बाबू मिश्रा, हरमनजी सिंह, दलजीत कौर जैसे स्वयंसेवकों के साथ किया। और कन्या भ्रूण हत्या को समाज से मिटाने का संकल्प लिया। 

सरदार पतविंदर सिंह का कहना है कि, लोग अपने पितरों का पिंडदान तो करते है पर इन्हे भूल जाते है कि वो इन्ही का हिस्सा है, इसलिए आज उन्हें याद करते हुए हम ये पिंड दान करते है और इसके साथ ही घाट में उपस्थित श्रद्धालुओं को ये संकल्प भी दिलवाते है की न भ्रूण हत्या करेंगे और न करने देंगे ये महापाप है। 

भाजपा सरकार द्वारा नारी शक्ति वन्दन अधिनियम से महिलाओं का प्रोत्साहन हुआ है। एक ओर 'बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ' की मुहीम घर घर तक अपनी जगह बना रही है वहीं दूसरी तरफ लोगों की ऐसी अनोखी पहल भी बेटियों को बचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।दरअसल कोख में ही कन्‍या होने की वजह से भ्रूण हत्‍या करने की वजह से बच्चियों की मौत होने की खबरें मीडिया में आती रहती है ऐसी अजन्‍मी बच्चियों के लिए श्राद्ध और तर्पण का आयोजन किया गया,उनको भी मोक्ष देने के लिए तर्पण की परंपरा की गई। 

निश्चित ही नियति के विधान से बच्चियां अधिकारणी थीं, इस धरा पर आने की,हंसने-खिलखिलाने की, सपने देखने व इन सपनों को घरौंदों के शक्ल में संवारने-सजाने की।... किंतु, 21वीं सदी में भी रुढ़िवादियों की विकृत और निर्मम सोच के चलते ऐसा हो न सका। सिर्फ कन्या होने के अपराध में मां की कोख में ही मार दी गई बच्चियों की आत्‍मा की शांति के लिए ही धर्म कार्य किया गया समस्त समाजसेवी, समाज सुधारक इस कृत्य के लिए स्वयं को एक बेचैन अपराध बोध से ग्रसित पाता है।

श्राद्ध तर्पण में सरदार पतविंदर सिंह, संजय श्रीवास्तव, पंडित दामोदर त्रिपाठी, बाबूजी यादव, राजा बाबू मिश्रा, हरमनजी सिंह, दलजीत कौर जैसे स्वयंसेवकों साथ मौजूद रहे।