बनारस के आदमपुर थाना क्षेत्र में इस चबूतरे पर एक साथ होती है रामलीला और नमाज, गंगा जमुनी तहजीब की ये है एक मिसाल,,,।
वाराणसी :: देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी ने सभी धर्मो की विरासत को बड़े ही खूबसूरती के साथ संजोया है, और बनारस शहर की गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल तो हमेशा से ही पूरी दुनिया में दिया जाता रहा है। इस शहर में सांस्कृतिक सामाजिक और धार्मिक विषयों पर आधारित अनेक ऐसी तस्वीरें हैं जो दूरदराज़ से आने वाले लोगों को हैरान कर देती हैं। इसी कड़ी में काशी में एक ऐसा भी स्थान हैं जहां पर बीते कई दशकों से रामलीला का मंचन और नमाज की परंपरा एक साथ निभाई जा रही है।
आइए उस चबूतरे के बारे में जानते हैं जहां पर रामलीला भी होता है और दूसरी तरफ नमाज भी पढ़ी जाती है।
गंगा जमुनी तहजीब वाले शहर काशी के लाट भैरव मंदिर और लाट की मस्जिद के चबूतरे पर एक साथ रामलीला का मंचन और नमाज अदा करने की तस्वीर यहां की गंगा जमुनी तहजीब को दिखाती है। दशकों से यहां पर चली आ रही परंपरा को काशी वाले बखूबी निभाते हैं। देर शाम के वक्त काशी के लाट भैरव मंदिर और लाट के मस्जिद वाले पूर्वी चबूतरे पर रामलीला का मंचन होता है और ठीक उसके दूसरी तरफ यानी पश्चिम हिस्से की ओर पांच वक्त के नमाजी नमाज अदा करते भी दिखाई देते हैं।
रामलीला के साथ नमाज की अनोखी तस्वीर
ढोलक और मजीरे के बीच मानस का दोहा और दूसरी तरफ अजान में अल्लाह हू अकबर की गूंज इस शहर की खूबसूरती को बयां करते हैं। पांच वक्त के नमाजी नदीम कहते हैं कि बीते कई वर्षों से वह शाम के समय नमाज अदा करने के लिए यहां पहुंचते हैं और इस दौरान जब कभी हमारे साथ बच्चे भी रहते हैं तो चबूतरे पर होने वाली इस रामलीला को वह देखने के लिए काफी उत्साहित रहते हैं।
सालों से चली आ रही है परंपरा
लाट भैरव क्षेत्र के निवासी और सनातन संस्कृति मामलों के जानकार हरिहर पांडे ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि लाट भैरव के चबूतरे पर पिछले कई सालों से प्रभु श्री राम पर आधारित रामलीला का मंचन जैसी सांस्कृतिक परंपरा को निभाया जा रहा है और ठीक उसके दूसरी तरफ नमाज भी अदा की जाती है।
रामलीला और नमाज अदा करने का यह दृश्य कुछ ही समय के लिए देखा जाता है क्योंकि खासतौर पर जो पांच वक्त के नमाजी होते हैं वो देर शाम नमाज के लिए यहां पहुंचते हैं और रामलीला का वक्त भी देर शाम से शुरू होकर रात तक निर्धारित रहता है। इसके अलावा यहां पर प्रशासन की भी मौजूदगी रहती है जिनके देखरेख में शांतिपूर्वक इसे संपन्न कराया जाता है।