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वाराणसी :: शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन काशी मे ब्रम्हचारिणी के दरबार में श्रद्धालुओं की अपार भीड़, दर्शनार्थियों ने मत्था टेका,,,।

वाराणसी :: शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन काशी मे ब्रम्हचारिणी के दरबार में श्रद्धालुओं की अपार भीड़, दर्शनार्थियों ने मत्था टेका,,,।

वाराणसी,16 अक्टूबर । शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन सोमवार को आदि शक्ति के दूसरे स्वरूप ब्रम्हाघाट स्थित भगवती ब्रम्हचारिणी के दरबार में श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई। दरबार में गूंजती घंटियों की आवाज और रह-रहकर गूंजता जयकारा 'सांचे दरबार की जय' से पूरा वातावरण देवीमय नजर आ रहा था। दरबार में अलसुबह से ही श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए मंदिर के मुख्य द्यार से श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। मंदिर के गर्भगृह में भगवती के भव्य स्वरूप की अलौकिक आभा निरख श्रद्धालु नर नारी निहाल हो जा रहे थे। शास्त्रों में मातारानी को संयम की देवी कहा जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमंडल है। अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत तय करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। 

देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है - 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।'

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन बाबा की नगरी में श्रद्धालुओं ने दुर्गाकुण्ड स्थित कूष्माण्डा देवी,चौसट्टीघाट स्थित चौसट्ठी देवी, मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर, संकठा मंदिर, माता कालरात्रि देवी मंदिर, तारा मंदिर, सिद्धेश्वरी मंदिर और कमच्छा स्थित कामाख्या मंदिर में भी हाजिरी लगाई।

काशी में नवरात्र के तीसरे दिन (तृतीया) को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चन्द्रघण्टा की पूजा होती है। इस रूप को चित्रघण्टा भी कहा जाता है। भक्तों में मान्यता है कि मां के इस रूप के दर्शन पूजन से नरक से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही सुख, समृद्धि, विद्या, सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। इनके माथे पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र बना है। मां सिंह वाहिनी हैं। इनकी दस भुजाएं है। मां के एक हाथ में कमण्डल भी है। 

इनका दरबार चौक कर्णघंटा में है। जिनके दर्शन कल मंगलवार 17 अक्टूबर को होगा।