राजस्थान::संत की शरण में BSF के जवान, जानें कहां लगी है पाठशाला और क्या मिली सीख?,,,।
राजस्थान,जैसलमेर : देश की प्रथम सुरक्षा पंक्ति कही जाने वाली सीमा सुरक्षा बल (SSB) जहां चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा में समर्पित नजर आती है। एक ओर जैसलमेर के 1022 तोपखाना रेजीमेंट में बीएसएफ (BSF) के जवानों को शारीरिक रूप से फिट रहने का पाठ पढ़ाया जाता है तो वहीं मानसिक रूप से फिट रहने के लिए भी अध्यात्म का पाठ पढ़ाया गया। बीएसएफ के जवानों ने ध्यान का महत्व सीखने के साथ फिट रहने का मंत्र भी सीखा। जैसलमेर शहर स्थित 1022 तोपखाना रेजीमेंट में अध्यात्म का पाठ पढ़ाने वाले प्रसिद्ध संत परम् द्विज के सानिध्य में जवानों को ध्यान (Meditation) का पाठ पढ़ाया गया। परम द्विज ने बीएसएफ जवानों को अध्यात्म, योग, ध्यान, त्याग और समर्पण की महत्ता बताई. साथ ही अहंकार पर नियंत्रण पाने के बारे में जानकारी दी गई।
इस दौरान सैकड़ों BSF के जवान इस पाठशाला में ध्यान लगाते नजर आए। वहीं शारीरिक फिट रहने के साथ ही मानसिक रूप से फिट रहना बीएसएफ में क्यों जरूरी है। इसके बारे में भी बीएसएफ के जवानों को व्यापक जानकारी दी गई। इस दौरैन कार्यक्रम में तोफखाना रेंजीमेट कमांडेट सत्येन्द्र पंवार व डिप्टी कमांडेड राजीव बिष्ट भी मौजूद रहे। संत द्विज ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में लोग अमन चैन की नींद सोए इसके लिए देश की सीमाओं पर 24 घंटे सेवाएं देने वाली देश की प्रथम रक्षा पंक्ति सीमा सुरक्षा बल है।
आज के इस दौर में BSF जवान जहां सरहद की रखवाली चौबीसों घंटो करते है। ऐसे में ड्यूटी के दौरान यदि कोई पारिवारिक समस्या जवान को घेर ले तो वो शारीरिक रूप से तो फिट रहना है, लेकिन मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। ऐसे में अध्यात्म उसके लिए संजीवनी का काम करती है। मानसिक रूप से फिट रखने रेजिमेंट जवानों के साथ ध्यान, अध्यात्म और तत्व ज्ञान के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संत ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता लेने से किया इंकार
अध्यात्म का पाठ पढ़ाने वाले परम द्विज भारत के निवासी है, जो पिछले 20-25 सालों से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं। विदेश में रहने के बावजूद अपनी मातृभूमि भारत से प्रेम के कारण वो ऑस्ट्रेलिया सरकार की नागरिकता लेने से इंकार भी कर चुके हैं। परम द्विज ने अपनी करोड़ों की संपत्तियों और बिजनेस छोड़कर अध्यात्म का रास्ता अपनाया है। ऐसे में जैसे ही परम द्विज का भारत आना हुआ, तो सैनिकों के प्रति प्रेम की भावनाओं के कारण वे सीमावर्ती जिले जैसलमेर पहुंचे। यहां उन्होंने बीएसएफ तोफखाना रेजीमेंट में बीएसएफ के जवानों को ध्यान, अध्यात्म और कर्म के प्रति प्रेरित कर मनोबल बढ़ाया।
देशभक्ती का दिया संदेश
परम द्विज ने बताया कि देश से बड़ा कोई धर्म नहीं हैं, क्योंकि धर्म की भावनाएं बदल सकती हैं। मगर देश नहीं बदल सकता। सच्चे और निष्काम कर्म से परमात्मा को महसूस किया जा सकता है। मगर उसे दिखाया नही जा सकता। इस दौरान उन्होंने जवानों को भी संबोधित किया और उन्हें जीवन में सदैव तनाव से मुक्त रहने का मंत्र दिया। ध्यान और योग की इस पाठशाला में रेजीमेंट के डिप्टी कमांडेंट राजीव बिष्ट भी मौजूद रहे। बिष्ट ने नक्सल प्रभावित इलाकों में अपनी गौरवमयी सेवाएं दी है और कई नक्सलियों को उन्होंने आत्मसमर्पण भी करवाया। वहीं BSF में बिष्ट को कई सम्मान और मेडल से नवाजा गया है।