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रिटायरमेंट के बाद भी जौनपुर में सक्रिय हुए DM डीके सिंह, धनंजय और अभिषेक सिंह IAS की बढ़ेंगी मुश्किलें?,,,।

रिटायरमेंट के बाद भी जौनपुर में सक्रिय हुए DM डीके सिंह, धनंजय और अभिषेक सिंह IAS की बढ़ेंगी मुश्किलें?,,,।

जौनपुर में बेहद लोकप्रिय जिलाधिकारी रहे दिनेश कुमार सिंह उर्फ डीके सिंह रिटायरमेंट के बाद भी सक्रिय हैं। उनकी यह सक्रियता भी कहीं और नहीं बल्कि जौनपुर में दिखाई दे रही है। डीएम से उन्हें प्रमोट कर चित्रकूट का कमिश्नर बनाया गया और वहीं से रिटायर भी हुए लेकिन लगाव जौनपुर से है। वह रहते भले ही लखनऊ में हैं लेकिन हफ्ते में दो दिन अब जौनपुर में ही रहना पसंद करते हैं। यहां पर किराए का मकान भी ले लिया है। 

अपनी इस सक्रियता को वह जौनपुर से लगाव, यहां के लोगों का प्यार, यहां स्थित चौकिया माता का लगातार आशीष पाने की लालसा बताते हैं। लेकिन उन्हें जानने वाले इसके पीछे कुछ और ही कारण बता रहे हैं। लोग जो कारण बता रहे हैं उसने न सिर्फ माफिया धनंजय सिंह की परेशानी बढ़ा दी है बल्कि तीन दिन पहले ही आईएएस से इस्तीफा देने वाले अभिषेक सिंह की मुश्किलें भी बढ़ रही हैं।

हो सकता है ये लेख पढ़ने के बाद आप समझ गए हों कि मेरा इशारा कहां है। जी हां, मेरा इशारा अगले लोकसभा चुनाव की तरफ ही है। देश में अगला लोकसभा चुनाव अभी भले ही सात महीने दूर है लेकिन हलचल हर तरफ तेज हो चुकी है। यूपी में सपा ने तो इसी नवरात्र वीआईपी सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने का भी ऐलान कर दिया है। करीब सभी जिलों में भावी दावेदारों ने सक्रियता बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा सक्रियता उसी जौनपुर जिले में बढ़ गई है जहां के गांव माधोपट्टी का नाम देश को सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस देने में गिना जाता है। संयोग यह भी है कि इस बार लोक सभा चुनाव के लिए यहां से सक्रियता में एक से ज्यादा आईएएस अधिकारी दिखाई दे रहे हैं। 

पूर्व डीएम डीके सिंह से इस बारे में बातचीत भी हुई। उन्होंने इस सक्रियता को किसी भी अन्य बातों से जोड़ने से साफ मना किया। उनका कहना है कि जौनपुर मेरी कर्मस्थली रही है। यहां से अजब तरह का लगाव बन गया है। यहां स्थित माता चौकिया धाम की महिमा तो अपरंपरा है। वहां पर बिना कुछ मांगे केवल दर्शन से ही सबकुछ मिल जाता है। 

जौनपुर में तैनाती के दौरान अफसरों के प्रति सख्ती और आम लोगों के प्रति अपनापन ने ही डीके सिंह को यहां लोकप्रिय बनाया है। कोरोना काल में गांव-गांव जाकर मजदूरों को खाना बंटवाने, उनका हालचाल लेने और कारोबारियों-छोटे दुकानदारों की हमेशा मदद करने में डीके सिंह आगे रहे। कई बार ऐसे मौके आए जब पुलिसकर्मियों की शिकायत भी लोग एसपी की जगह डीएम के पास लेकर पहुंच जाते थे। 

चौकियां धाम के दुकानदारों को भी पुलिस वाले परेशान करते थे। तब डीके सिंह ने ही उनकी परेशानी दूर की थी। डीके सिंह को यहां की जिला पंचायत का प्रशासक भी नियुक्त किया गया था। उस दौरान किए गए कार्य लोग आज भी याद करते नहीं थकते हैं। ऐसे में जब चर्चा उनके लोकसभा चुनाव में उतरने की होने लगे तो भावी प्रत्याशियों माफिया धनंजय सिंह और आईएएस अभिषेक सिंह की मुश्किलें बढ़नी लाजमी हैं। 
डीके सिंह ने भले ही लोकसभा चुनाव में उतरने की किसी संभावना से साफ इनकार कर दिया हो लेकिन आईएएस अभिषेक सिंह ने गणेशोत्सव के दौरान पूछे गए इसी तरह के सवाल पर इनकार नहीं किया था।

अब तो अभिषेक सिंह ने आईएएस से इस्तीफा भी दे दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह जौनपुर से सांसदी के मैदान में उतर सकते हैं। अभिषेक के अलावा माफिया और पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी पहले से यहां से दावेदार हैं। कहा जा रहा है कि इस बार वह जदयू से टिकट के प्रयास में लगे हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने धनंजय सिंह को राष्ट्रीय महासचिव जैसा अहम पद भी दे दिया है। जदयू सपा के साथ इंडिया गठबंधन में है। पिछली बार सपा ने जौनपुर की सीट बसपा को दी थी। इस बार जदयू को भी दे सकती है। ऐसे में इंडिया गठबंधन से जदयू के टिकट पर धनंजय सिंह ही प्रत्याशी भी हो सकते हैं। 

धनंजय सिंह की परेशानी क्यों बढ़ा सकते हैं डीके सिंह

पहले बात धनंजय सिंह की करते हैं। धनंजय सिंह के दबदबे को इस तरह समझा जा सकता है कि यहां की रारी सीट से निर्दल ही चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बन गए थे। अगला चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा और दोबारा विधायक बने। 2009 में बसपा ने धनंजय को लोकसभा के मैदान में उतारा और यहां भी जीत हासिल की। 2014 में भी धनंजय मैदान में उतरे लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद अपने पुराने क्षेत्र रारी में लौटे और परिसीमन के बाद बने मलहनी से विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन सफलता हाथ से निकल चुकी थी। आरोप सपा और तत्कालीन अधिकारियों पर लगाया।

2017 में सपा के पारसनाथ ने धनंजय को हराया। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में पारसनाथ के बेटे लकी ने हराया। इस हार का ठीकरा धनंजय ने तत्कालीन डीएम डीके सिंह पर फोड़ा। खुलेआम कई आरोप लगाए। यही नहीं, पूर्व डीएम डीके सिंह आम लोगों से मेल मुलाकात के दौरान माफियाओं और अपराधियों की कमर तोड़ने की बातें करते रहते हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि अगर डीके सिंह ने जौनपुर से चुनावी रास्ता अपनाया तो धनंजय की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। 

आईएएस अभिषेक सिंह की मुश्किलें पूर्व डीएम से क्यों बढ़ जाएंगी

आईएएस अभिषेक सिंह का मैदान में उतरना लगभग तय हो गया है। अगर डीके सिंह भी मैदान में आने की तैयारी करते हैं तो अभिषेक सिंह को पहला मुकाबला टिकट के फ्रंट पर करना होगा। माना जा रहा है कि अभिषेक सिंह का भाजपा नेताओं से करीबी संबंध है। जौनपुर में गणेशोत्सव के कार्यक्रम में भी उनके बुलावे पर यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पहुंचे थे। अभिषेक अगर उतरते हैं तो भाजपा का ही टिकट लेने की कोशिश करेंगे। दूसरी तरफ डीके सिंह उसी योगी सरकार में डीएम और कमिश्नर जैसे पदों पर रहे हैं जो अभी भी सत्ता में है। ऐसे में अभिषेक सिंह से ज्यादा पहुंच डीके सिंह की ही होगी। जब जौनपुर से दोनों लोग टिकट मांगेगे तो अभिषेक सिंह पर डीके सिंह ही भारी पड़ेंगे।

अभिषेक सिंह ने जौनपुर में अपना माहौल बनाने के लिए केवल गणेशोत्सव जैसा आयोजन किया है। जबकि डीके सिंह डीएम रहते हुए और आज भी लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं, उनसे मिल रहे हैं। आज भी उनके सुख दुख में शामिल हो रहे हैं। अगर डीके सिंह के फेसबुक पेज को देखें तो साफ हो जाएगा कि उनका जौनपुर के लोगों के कितना लगाव है। ऐसी स्थिति में आईएएस अभिषेक की मुश्किलें डीके सिंह के मैदान में उतरने की संभावना से ही बढ़नी तय हैं।
लेख, लेखक :: ए. के. केसरी