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बनारस में अब पहले वाली मस्ती नहीं, हां गुरु अब यहां के लोग भी बदल गए : संजय मिश्रा,,,।

बनारस में अब पहले वाली मस्ती नहीं, हां गुरु अब यहां के लोग भी बदल गए : संजय मिश्रा,,,।

वाराणसी। बॉलीवुड के हास्य अभिनेता संजय मिश्रा ने बनारस में हुए बदलाव और विकास की सराहना के साथ कहा कि अब इस शहर में सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण है। इस पर रोक लगना चाहिए। एक फिल्म की शूटिंग में भाग लेने शहर में आए अभिनेता ने कहा कि कोई भी शहर पत्थरों का नहीं होता और न शहर पत्थरों से होता है। शहर इंसानों से होता है और उनकी जिंदादिली से होता है। इसलिए बनारसगिरी (बनारसीपन) जिंदा रखिए।

काशी को बस महसूस कीजिए। उन्होंने कहा कि बनारस में संगीत है, बनारस एक खूबसूरत शहर है। यहां साहित्य है। इसे संभाल कर रखें, वही काम आएगा। पूरे अंदाज में अभिनेता ने कहा कि 'गुरु' बनारस में अब पहले वाली मस्ती नहीं रही। अब यहां के लोग भी बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि जब भी समय मिलता है, मैं बनारस आ जाता हूं। उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता संजय मिश्रा ने अपनी पढ़ाई वाराणसी के केंद्रीय विद्यालय बीएचयू परिसर से की है। इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय का कोर्स किया और फिर अभिनय की दुनिया में कदम रखा।

मूल रूप से बिहार के दरभंगा के निवासी संजय मिश्र बनारस की तंग गलियों में काफी समय गुजार चुके हैं। संजय मिश्रा ने एक्टिंग की शुरुआत छोटे पर्दे से की थी। 'दिल से', 'बंटी और बबली', 'अपना सपना मनी मनी', 'आंखों देखी', 'फंस गए रे ओबामा', ' मिस टनकपुर हाजिर हो', 'प्रेम रतन धन पायो', 'मेरठिया गैंगस्टर्स', 'आंखों देखी', 'दम लगाके हइशा', और 'मसान' जैसी कई सफल फिल्मों के हिस्सा रहे हैं।