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नहाय खाय से शुरू हुआ महापर्व छठ, पढ़ें क्या होता है साठी का चावल जिसका होता है खास महत्व, खरना आज,,,।

नहाय खाय से शुरू हुआ महापर्व छठ, पढ़ें क्या होता है साठी का चावल जिसका होता है खास महत्व, खरना आज,,,।

आस्था का महापर्व डाला छठ शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। व्रती महिलाओं ने शाम में स्नान करने के बाद रोटी चने की दाल और लौकी का सादा भोजन ग्रहण किया। शाम को व्रती महिलाओं ने घाट और कुंडों के किनारे बनी वेदियों पर दीप जलाकर पूजन किया और एक दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य की कामना की। इसके साथ ही बिस्तर का भी त्याग कर दिया। मान्यता है कि छठ में व्रत करने वाली महिलाएं बिस्तर का त्याग कर जमीन पर चटाई बिछाकर या लकड़ी के तख्त पर सोती हैं।

शनिवार को खरना के दिन महिलाओं ने साठी के चावल, गुड़ और गाय के दूध की खीर खाने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करेंगी। नहाय खाय के रस्म के साथ ही घर-घर छठ के गीत गूंजने लगे। शहर के विभिन्न इलाके में केलवा के पात पर उगेले सुरुज देव..., पहिले पहिल हम कईनी छठी मइया व्रत तोहार.., कईली बरतिया तोहार हम छठी मईया जैसे पारंपरिक गीत गूंजते रहे। रविवार को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं व्रत का पारण करेंगी। व्रत को लेकर शुक्रवार को घरों में तैयारियां चलती रहीं। बाजारों में भी खरीदारों की भीड़ दिखी। फल के साथ पूजन की सामग्री की खरीदारी देर रात तक होती रही। गंगा, वरुणा और कुंडों पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया।

धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से हर मनोकामना पूरी होती है। खरना के दिन महिलाएं और व्रती सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनती हैं और नाक से मांग तक का पीला सिंदूर लगाती हैं। शाम के समय सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद सूर्य देव और छठी मइया को साठी के चावल की खीर, पूड़ी, मिठाई और केले का भोग लगाया जाता है। केवल साठ दिनों में तैयार होने वाले चावल को साठी चावल कहा जाता है। साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं। साठी चावल संग्रहणी, पेचिश और मंदाग्नि (भूख कम लगना) आदि को समाप्त करता है।

खरना आज

छठ पर्व का दूसरे दिन खरना है। इस दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि का मान सुबह नौ बजकर 53 मिनट मिनट, पश्चात षष्ठी तिथि है। इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र दिन भर और रात को एक बजकर 22 मिनट तक, इसके बाद श्रवण नक्षत्र और शूल तदुपरि वृद्धि नामक योग है। पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, व्रती महिलाएं आज शनिवार को निर्जल खरना व्रत रखेंगी। शाम को स्वच्छ स्थान पर चूल्हे को स्थापित कर अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से पूजा करेंगी। आटे से रोटी और साठी के चावल से खीर बनाएंगी। इसके बाद खरना किया जाएगा। यही रोटी और खीर खाने के बाद छठ व्रत शुरू हो जाएगा, जो सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा।