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कोहली के कद जितना विराट रहा है उनका संघर्ष, प्रतिभा तो थी ही मेहनत-संयम और जुझारूपन से बने किंग, आइए जाने उनके बारे में,,,।

कोहली के कद जितना विराट रहा है उनका संघर्ष, प्रतिभा तो थी ही मेहनत-संयम और जुझारूपन से बने किंग, आइए जाने उनके बारे में,,,।

वनडे विश्व कप 2023 में विराट कोहली ने 700 से ज्यादा रन बनाए हैं और नया रिकॉर्ड बना दिया। वनडे विश्व कप के किसी एक सीजन में कोई दूसरा बल्लेबाज इतने रन नहीं बना पाया है। कोहली के नाम ऐसे कई रिकॉर्ड हैं। मौजूदा समय में वह दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर हैं। वनडे में सबसे ज्यादा 50 शतक लगाने वाले विराट का कद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जितना बड़ा है, उतना ही बड़ा उनका संघर्ष रहा है। वह अपने करियर के अलग-अलग पड़ाव पर अलग-अलग परेशानियों से जूझे हैं और उनसे पार पाते हुए सफलता के नए मुकाम हासिल किए हैं।

पांच नवंबर 1988 को दिल्ली में जन्में विराट कोहली ने नौ साल की उम्र में ही बल्ला थाम लिया था। वह पढ़ाई में बहुत मेधावी छात्र नहीं थे, लेकिन क्रिकेट की पिच पर जाते ही उनके अंदर अलग ऊर्जा नजर आती थी। महज 11-12 साल की उम्र में वह दिल्ली क्रिकेट में अपना नाम बना चुके थे। उनके पिता को ये सारी बातें पता थीं। इस वजह से उन्होंने कभी भी विराट को क्रिकेट खेलने से नहीं रोका।
 

प्रतिभा तो विराट के अंदर थी ही और राजकुमार शर्मा की देखरेख में वह समय से पहले ख्याति हासिल करने लगे। उनकी उम्र से बड़ा उनका कद हो गया। युवा कोहली की बल्लेबाजी के चर्चे देश के कोने-कोने के खिलाड़ी करने लगे। 2002 में दिल्ली की अंडर-15 टीम के लिए कोहली पहली बार खेले और 2003 में टीम के कप्तान भी बन गए। यहां कमाल करने के बाद वह विजय मर्चेंट ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंट में भी लगातार रन बनाते रहे। उम्र बढ़ी तो अंडर-15 टीम से अंडर-19 टीम में शामिल हो गए।

2006 में उनका लिस्ट ए करियर शुरु हुआ और दिल्ली कीरणजी टीम में भी जगह मिल गई। तमिलनाडु के खिलाफ पहला मैच खेला और धीरे-धीरे दिल्ली की रणजी टीम में भी जगह बना ली।

19 दिसंबर 2006 का यादगार दिन

दिल्ली और कर्णाटक के बीच रणजी ट्रॉफी का मैच चल रहा था। 18 साल के कोहली 40 रन बनाकर नाबाद थे। कोहली की टीम फॉलोऑन खेल रही थी, जिसे टालने के लिए उन्हें 192 रन की दरकार थी। इस बीच विराट के पिता का निधन हो गया। सुबह अपने पिता का अंतिम संस्कार करके युवा विराट मैदान पर लौटे और बल्लेबाजी की। उन्होंने मैदान पर किसी से बात नहीं की और शानदार बल्लेबाजी करते हुए 90 रन बनाए। हालांकि, यह दिन विराट के रनों के लिए नहीं बल्कि उनकी दृढ़ता के लिए याद रखा जाता है।

पिता को खोने के बाद विराट मानसिक रूप से और भी मजबूत हो गए। मुश्किल मुकाबलों में वह और बेहतर खेलने लगे। 2008 अंडर-19 विश्व कप में कोहली को भारतीय टीम की कमान मिली और बल्ले से रनों की बरसात करते हुए उन्होंने भारत को दूसरी बार अंडर-19 विश्व कप जिता दिया। इसी समय आईपीएल की शुरुआत हुई और कोहली पर बेंगलूरू की टीम ने दांव लगाया। उनको बहुत ज्यादा कीमत नहीं मिली, लेकिन वह आईपीएल में शामिल हो चुके थे।

 2008 में भारत के लिए पहला मैच खेले

साल 2008 में विराट ने देश के लिए पहला मैच खेला। पहले मुकाबले में वह कुछ खास नहीं कर सके, लेकिन आगे चलकर उन्होंने कई बेहतरीन पारियां खेलीं। इसी वजह से उन्हें 2011 विश्व कप टीम में जगह मिली और बांग्लादेश के खिलाफ शतक के साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आगमन का एलान कर दिया। भारतीय टीम चैंपियन बनी और विराट ने सचिन को कंधे पर बैठाकर घुमाया।

साल 2012 विराट के नाम रहा और उन्होंने हर फॉर्मेट में शतकों की झड़ी लगा दी। हालांकि, 2013 उनके लिए नई चुनौती लेकर आया, जब इंग्लैंड में जेम्स एंडरसन ने उन्हें काफी परेशान किया। विराट पूरे दौरे में रन के लिए तरसते रहे और टीम इंडिया जीत के लिए। ऑफ स्टंप के बाहर विराट की कमजोर सामने आई, लेकिन कोहली ने जल्दी ही इसे दूर भी कर लिया। वह लगातार रन बनाते रहे और टीम को मैच जिताते रहे।
 

टेस्ट में सबसे सफल भारतीय कप्तान बने

कोहली को टेस्ट टीम की कमान मिली और पहले मैच में ही वह पांच गेंदबाजों के साथ उतरे। उन्होंने साफ किया कि वह टेस्ट मैच जीतने के लिए मैदान में उतरते हैं। उन्हें हार का डर नहीं है। इस बीच 2016 आईपीएल में चार शतक लगाकर कोहली ने यह साबित किया की टी20 में भी उनका कोई शानी नहीं है। वनडे टीम की कमान भी उन्हें मिली, लेकिन कोहली आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत सके। हालांकि, उनके बल्ला जमकर रन उगलता रहा और इंग्लैंड जाकर उन्होंने यह साबित किया की ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर उनकी कमजोर खत्म हो चुकी है।
 

तीन साल का शतकों का सूखा खत्म किया

साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते दर्शक मैदान से दूर हो गए और रन कोहली के बल्ले से अलग हो गए। तीन साल तक वह शतक के लिए जूझते रहे। इस दौरान उन्होंने कप्तानी भी छोड़ दी। हालांकि, वह टेस्ट में अभी भी सबसे सफल भारतीय कप्तान हैं। कोहली ने क्रिकेट से एक महीने का ब्रेक लिया और अफगानिस्तान के खिलाफ वापसी करते हुए टी20 में अपना पहला शतक जड़ा। इसके बाद उन्होंने फिर से शतकों का अंबार लगाया और वनडे में 50 शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन चुके हैं। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन के बाद सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाज हैं। उनके नाम कुल 80 शतक हैं। अब कोहली के पास 100 शतक लगाने का कीर्तिमान अपने नाम करने का मौका है।