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वाराणसी :: स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए उमड़ा जन सैलाब, धनतेरस के पूर्व संध्या से ही श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़,,,।

वाराणसी :: स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए उमड़ा जन सैलाब, धनतेरस के पूर्व संध्या से ही श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़,,,।

वाराणसी । धनतेरस पर्व की पूर्व संध्या गुरूवार शाम से ही श्रद्धालु स्वर्णमयी अन्नपूर्णेश्वरी के दर्शन के लिए बैरिकेडिंग में कतारबद्ध होने लगे है। ग्रामीण अंचल की श्रद्धालु महिलाएं मां अन्नपूर्णा के स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन के लिए अपरान्ह से ही मंदिर परिसर में पहुंचने लगी। 

दर्शन पूजन के लिए महिलाए जमीन पर ही बैठ गई हैं । पूरी रात माता रानी का भजन कीर्तन कर भोर से दर्शन पूजन करेंगी। कतारबद्ध महिलाओं के श्रद्धाभाव को देख मंदिर प्रबंधन ने उनके लिए चाय,पानी और नाश्ते का प्रबंध भी किया है। और रात्रि में श्रद्धालुओं के लिए खाने की भी व्यवस्था की गई है।
मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि श्रद्धालुओं को मातारानी का सुगम दर्शन मिलेगा। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। मंदिर प्रबंधन ने भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रांगण में चिकित्सक तैनात किया है। मन्दिर के सेवादार दिव्यांग व बुजुर्गो को सीधे माता दरबार में पहुंचायेंगे। सुरक्षा के बाबत कंट्रोल रूम बनाया गया है। 

गौरतलब हो कि माता अन्नपूर्णा का दर्शन तो श्रद्धालुओं को प्रतिदिन मिलता हैं। लेकिन, खास स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस पर्व से अन्नकूट तक ही मिलता है। मां की दपदप करती ममतामयी ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले काशीपुराधिपति की झोली में अन्नदान की मुद्रा में है। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। 
काशी में मान्यता है कि जगत के पालन हार काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ याचक के भाव से खड़े रहते है। बाबा अपनी नगरी के पोषण के लिए मां की कृपा पर आश्रित हैं। वर्ष में चार दिन धान का लावा-बताशा और पचास पैसे के सिक्के खजाना के रूप में वितरण की परम्परा है। इसे घर के अन्न भंडार में रखने से विश्वास है कि वर्ष पर्यन्त धन धान्य की कमी नहीं होती। इसी विश्वास से लाखों श्रद्धालु माता अन्नपूरेश्वरी के दरबार में आते हैं।