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PM मोदी का 21 नवंबर को जयपुर में रोड शो, शहर की 8 सीटों पर पड़ेगा असर, आज भरतपुर में भर रहें हैं हुंकार,,,।

PM मोदी का 21 नवंबर को जयपुर में रोड शो, शहर की 8 सीटों पर पड़ेगा असर, आज भरतपुर में भर रहें हैं हुंकार,,,।

PM Modi In Jaipur, पीएम मोदी 21 नवंबर को जयपुर में रोड शो करेंगे। ऐसे में यहां चुनावी रुख बदल सकता है। शहर की 8 विधानसभा सीटों पर इसका असर पड़ेगा, वहीं, प्रधानमंत्री शनिवार को भरतपुर में विजय संकल्प सभा को संबोधित कर रहे है। 

जयपुर, राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा के केंद्रीय नेताओं के दौरे लगातार बढ़ रहे हैं। अमित शाह और नितिन गडकरी के बाद अब पीएम मोदी भी रोड शो करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 नवंबर को जयपुर में रोड शो करेंगे। मोती डूंगरी गणेश मंदिर से जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर तक होने वाले इस रोड शो के दौरान 4 विधानसभा क्षेत्र कवर होंगे, लेकिन पीएम के दौरे से शहर की तकरीबन सभी विधानसभा सीटों पर इसका असर दिखने वाला है।

जयपुर की 8 सीटों में से 5 कांग्रेस के पास 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये रोड शो पहले 23 नवंबर को प्रस्तावित था, लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए 21 नवम्बर की तारीख तय की है. पीएम मोदी का रोड शो मोती डूंगरी गणेश मंदिर से लेकर जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर तक होगा। धार्मिक स्थल से शुरू होने वाले इस रोड के जरिए भाजपा ध्रुवीकरण करने की पूरी कोशिश करेगी। रोड शो के दौरान जिन 4 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने का रोड मैप तैयार किया गया है, वो अल्पसंख्यक बाहुल्य सीटें है। मोदी के रोड शो से शहर की सभी 8 सीटों पर असर डालने की कोशिश होगी. जयपुर शहर की 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. किशनपोल, हवा महल, आदर्श नगर, सिविल लाइन, बगरू कांग्रेस के पास हैं तो वहीं मालवीय नगर, सांगानेर और विद्याधर नगर विधानसभा सीटें बीजेपी के पास हैं।

जयपुर शहर की 8 सीटों के समीकरण 
सांगानेर विधानसभा सीट : 2018 में इस सीट पर जीत का मार्जिन सर्वाधिक रहा. यहां बीजेपी के अशोक लाहोटी ने कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेन्द्र भारद्वाज को हराया था. सांगानेर सीट बीजेपी का गढ़ रही है. वर्ष 2003 से अब तक लगातार बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव जीतते आए हैं. 2003 में राव राजेन्द्र सिंह चुनाव जीते थे जबकि 2008 और 2013 के चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी ने लगातार 2 बार चुनाव जीता था. हालांकि इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए भजन लाल शर्मा को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पुष्पेन्द्र भारद्वाज पर भरोसा जताया है.

सिविल लाइन विधानसभा क्षेत्र : 2018 में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी के अरुण चतुर्वेदी को हराया था. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी अरुण सिंह और प्रताप सिंह खाचरियावास आमने सामने थे, तब चतुर्वेदी ने प्रताप सिंह को हराया था. वर्ष 2008 में प्रताप सिंह खाचरियावास के सामने अशोक लाहोटी थे, तब प्रताप सिंह ने अशोक लाहोटी को हराया था. हालांकि इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए गोपाल शर्मा को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने प्रताप सिंह खाचरियावास पर भरोसा जताया है।

किशनपोल विधानसभा सीट : किशनपोल सीट बीजेपी का गढ़ रही है. यहां 1990 के बाद 7 बार विधानसभा चुनाव हुए. इन सात में से बीजेपी ने पांच बार जीत हासिल की है. वर्ष 1998 में निर्दलीय प्रत्याशी नन्दलाल और 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की. कांग्रेस प्रत्याशी अमीन कागजी इस सीट से विधायक हैं और तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले 2013 का चुनाव वो हार गए थे, लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल गुप्ता को हराकर उन्होंने जीत हासिल की थी. हालांकि भाजपा ने प्रत्याशी बदलते हुए चंद्रमनोहर बटवाडा को मैदान में उतारा है. बटवाड़ा पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

हवामहल विधानसभा सीट : इस सीट पर वर्ष 1998 से एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की जीत होती आई है. 2018 में कांग्रेस के महेश जोशी ने बीजेपी के सुरेन्द्र पारीक को हराया था. वर्ष 2013 के चुनावों में बीजेपी के सुरेन्द्र पारीक ने पूर्व मंत्री बृजकिशोर शर्मा को हराया था. वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस के बृजकिशोर शर्मा चुनाव जीते थे. इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशी बदले हैं. कांग्रेस ने आर.आर. तिवाड़ी को हवामहल से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया है. यहां मौजूदा विधायक महेश जोशी का टिकट काटा गया है, जबकि भाजपा ने भी प्रत्याशी बदलते हुए महंत बालमुकुंद आचार्य को मैदान में उतारा है।

झोटवाड़ा विधानसभा : इस सीट पर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने बीजेपी के राजपाल सिंह शेखावत को हराया था. राजपाल सिंह शेखावत 2008 और 2013 में लगातार झोटवाड़ा से विधायक रह चुके हैं. हालांकि इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने प्रत्याशी बदले हैं. भाजपा ने जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को तो कांग्रेस ने युवा चेहरे के तौर पर अभिषेक चौधरी को मैदान में उतारा है।

मालवीय नगर विधानसभा : इस सीट पर पिछले तीन चुनावों में लगातार बीजेपी की जीत होती आई है. वर्ष 2008, 2013 और 2018 में लगातार बीजेपी के कालीचरण सर्राफ विधायक चुने गए हैं. कालीचरण सर्राफ ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अर्चना शर्मा को लगातार दो बार हराया है. इससे पहले सराफ ने राजीव अरोड़ा को चुनाव में हराया था. वर्ष 1998 और 2003 में इस सीट पर कांग्रेस के रामचंद्र की जीत हुई थी। इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है।

बगरू विधानसभा क्षेत्र : यह जयपुर शहर के बाहरी क्षेत्र को कवर करती है. बगरू किसी भी राजनीतिक पार्टी की परम्परागत सीट कभी नहीं रही. यहां कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी तो कभी निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत होती रही है. वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस की गंगा देवी ने बीजेपी के कैलाश वर्मा को हराया था. वर्ष 2013 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान बीजेपी के कैलाश वर्मा कांग्रेस के डॉ. प्रह्लाद रघु को हराते हुए पहली बार चुनाव जीते थे। इससे पहले वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस की गंगा देवी ने बगरू से चुनाव जीता था. इस बार भी बीजेपी ने कैलाश वर्मा पर तो कांग्रेस ने गंगा देवी को ही मैदान में उतारा है।

विद्याधर नगर विधानसभा : यह सीट पिछले 20 साल से बीजेपी का गढ़ रही है. वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रामकिशोर मीणा ने चुनाव जीता था. इसके बाद वर्ष 2008, 2013 और 2018 में हुए चुनाव में नरपत सिंह राजवी लगातार चुनाव जीतते आए हैं. राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत के दामाद हैं। हालांकि भाजपा ने इस बार इस सीट पर बदलाव कर सबको चौंका दिया हैं. बीजेपी ने इस सीट पर इस बार राजसमंद सांसद और जयपुर के पूर्व राजपरिवार की राजकुमारी दीया कुमारी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल पर ही दांव खेला है।