बनारस में 25 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों से होगा पीएम मोदी का स्वागत, दो दिन रुकने का है प्रोग्राम,,,।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र काशी का दौरा करेंगे। इस दौरान उनका तकरीबन 20 किलोमीटर का लंबा रोड शो प्रस्तावित है। रोड शो के दौरान भाजपा के कार्यकर्ता जगह-जगह पुष्प वर्षा करेंगे, जिसके लिए तकरीबन 25 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों का ऑर्डर दिया गया है।
17 तारीख को प्रधानमंत्री नमो घाट पर आयोजित काशी तमिल संगम के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। 17 और 18 दिसंबर को पीएम मोदी तकरीबन 25 घंटे काशी में बिताएंगे। 17 दिसंबर को पहले दिन रोड शो होगा। इसी के साथ भारत संकल्प यात्रा प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगे। इसके बाद पीएम मोदी लाभार्थियों से संवाद करने के साथ ही फीडबैक लेंगे। वहीं काशी-तमिल संगम के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।
वहीं 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद स्वर्वेद मंदिर का लोकार्पण करने पहुंचेंगे। वहीं आखिर में प्रधानमंत्री मोदी सेवापुरी विधानसभा में जनसभा के साथ चुनाव का आगाज करेंगे।
विश्वनाथ धाम की दूसरी वर्षगांठ पर जगमग हुआ धाम, पीएम मोदी ने किया था लोकार्पण
वाराणसी में विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को 2 वर्ष पूरे हो गए हैं। यहां इस मौके पर पूरे अलग-अलग भव्य आयोजन किए गए। पूरा धाम रोशनी से जगमग हो उठा। कहीं ओम नमः शिवाय तो कहीं दीयों की सजावट मंदिरों में अलग ही छटा बिखेर रही थी। गंगा द्वारा से लेकर पूरे मंदिर चौक और फिर मंदिर परिसर तक को भव्य तरीके से सजाया गया था।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ कॉरिडोर धाम (Kashi Vishwanath corridor) का लोकार्पण 13 दिसंबर 2021 को किया था। इस दौरान केंद्र और यूपी सरकार ने विशाल और व्यापक कार्यक्रम किया था। इसमें बीजेपी शासित राज्यों के 12 सीएम और 9 डिप्टी सीएम वाराणसी पहुंचे थे।
इसके बाद सदियों की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत समेटे पुरातन नगरी वाराणसी में काशी विश्वनाथ का भव्य और दिव्य स्वरूप लोगों के सामने आया था। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि बनारस वो नगर है, जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य को डोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली। उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया।
लोकार्पण के मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि काशी वो जगह है, जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे। रानीलक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आजाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं यहां हुईं, इस स्मरण को कहां तक ले जाया जाए।