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वाराणसी :: भगवान राम ने काशी में स्थापित किया था रघुनाथेश्वर महादेव का लिंग, सतयुग, त्रेता और द्वापर के मिले निशान,,,।

वाराणसी :: भगवान राम ने काशी में स्थापित किया था रघुनाथेश्वर महादेव का लिंग, सतयुग, त्रेता और द्वापर के मिले निशान,,,।

काशी के मीरघाट में भगवान राम की अयोध्यापुरी भी है। बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के शिक्षक, काशी के विद्वान और केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की टीम ने छह महीने की खोज और सौ से अधिक पुस्तकों के अध्ययन के बाद इस पर अपनी मुहर लगा दी है। शिव की नगरी काशी के वायव्य कोण (उत्तर और पश्चिम दिशा के बीच में) सोमेश्वर महादेव के पास अयोध्या पुरी विराजमान हैं। यहीं पर रामेश्वरम लिंग है। भगवान सीतापति श्रीराम यहां पर विराजते हैं।

बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, काशी करवत मंदिर के महेश उपाध्याय, मंगला गौरी के महंत नरेंद्र पांडेय, केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा, वैदिक विद्वान मनीष पांडेय और शोध छात्र सुधांशु पांडेय की टीम ने छह महीने के अध्ययन के बाद काशी की अयोध्या पुरी का स्थान मीरघाट मोहल्ले में चिन्हित किया है। स्कंदपुराण, काशी खंड एवं कृत्यकल्पतरू एवं काशी रहस्य समेत सौ से अधिक पुस्तकों में काशी की अयोध्या पुरी का वर्णन है। 

इसके चारों ओर विभीषण और वानरों द्वारा स्थापित साढ़े दस हजार शिवलिंग में से कुछ प्रमुख लिंगों की भी पहचान की गई है। अयोध्या पुरी की सीमा गणेश महाल से रामघाट तक है। यहां पर विभीषण द्वारा स्थापित लिंग नैर्ऋतेश्वर शिवलिंग और रामघाट पर हनुमान जी, सुग्रीव व बालि द्वारा स्थापित लिंग व वीर रामेश्वरम की भी पुष्टि हुई है। संकटा मंदिर के आसपास भगवान राम के पूर्वज हरिश्चंद्र, गुरु वशिष्ठ और वामदेव द्वारा स्थापित लिंग भी मिले हैं।

वहीं, मणिकर्णिका के ऊपर भगीरथ द्वारा स्थापित लिंग भी है। कुछ ही दूरी पर धर्मकूप में कांचन शाख वटवृक्ष के नीचे भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद ब्रह्महत्या से मुक्ति के लिए रघुनाथेश्वर शिवलिंग की स्थापना की थी। उसके बगल में गणेश्वर शिवलिंग और दक्षिण में त्रिपुरांतकेश्वर विराजमान हैं। उसके आगे बढ़ने पर सेतुबंधन से आए भगवान रामेश्वरम खुद जटीश्वर के रूप में हैं।

पांच साल से बंद था मंदिर का मकान

भगवान राम ने रघुनाथेश्वर महादेव का जो लिंग स्थापित किया था, उस मंदिर का मकान पांच साल से बंद था। खोज करने वालों ने जब पुराणों के अनुसार दिशा और कोण का मिलान किया तो मीरघाट धर्मकूप के पास इसकी दिशा मिली। टीम के सदस्य जब मकान पर पहुंचे तो वह पांच सालों से बंद था। उसके बाद उसे खुलवाया गया। मकान जर्जर स्थिति में था, साफ-सफाई के बाद पूजन आरंभ हो गया है। केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि रघुनाथेश्वर महादेव के मंदिर को जल्द से जल्द दुरुस्त कराकर वहां पर व्यवस्थाओं को सही कराने की पहल की जाएगी।

मिलते हैं सतयुग, त्रेता और द्वापर युग के निशान

पुरानी कहावत हैं प्रयाग मुंडे, काशी ढूंढे और गया पिंडे.. इस बात से हम सभी अवगत है कि धर्म नगरी काशी में 33 कोटि देवी-देवता देवाधिदेव महादेव के साथ ही बसते हैं। इतिहास, परंपरा और किंवदंती से भी प्राचीन काशी में कई ऐसे पौराणिक मंदिर, तीर्थ और पुरियां हैं जिनके इर्दगिर्द हम रहते हुए भी उसके महात्म्य से वंचित हैं। सतयुग, त्रेता और द्वापर के निशान आज भी काशी के अविमुक्त क्षेत्र में मिलते हैं।

गलियों की छानी खाक, तैयार हो रही पुस्तक

अयोध्या पुरी और रघुनाथेश्वर महादेव की खोज करने वाली टीम के सदस्य प्रो. माधव जनार्दन रटाटे ने बताया कि इसके लिए उन लोगों ने काशी की गलियों का भ्रमण किया। जनश्रुतियों और पुराणों के अध्ययन के बाद वास्तविक स्थान की पहचान हो गई है। केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि इसे पुस्तक का स्वरूप दिया जा रहा है। इससे काशी के बारे में फैली हुई भ्रांतियां व भ्रम भी दूर होगा।

काशी में हैं सप्तपुरियां

काशी, अयोध्या, कांची, मथुरा, अवंतिका (उज्जैन), द्वारिकाधाम, मायापुरी (हरिद्वार) सप्तपुरियों में शामिल हैं। पुराणों के अनुसार सप्तपुरियां मोक्ष प्रदान करती हैं लेकिन काशी सायुज्य मोक्ष की प्राप्ति कराती है। इसमें मायापुरी अस्सी का क्षेत्र, कांची बिंदुमाधव का क्षेत्र, अवंतिका महामृत्युंजय का क्षेत्र, मथुरा पीलीकोठी से वरुणा तट, द्वारिका शंकुलधारा खोजवां का क्षेत्र, काशी ब्रह्मेश्वर से मणिकर्णेश्वर और अयोध्या मीरघाट का क्षेत्र है।