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VIVO इंडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीनों आरोपी रिहा, कोर्ट ने गिरफ्तारी को अवैध बताया

VIVO इंडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीनों आरोपी रिहा, कोर्ट ने गिरफ्तारी को अवैध बताया

चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो इंडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 2 लाख की निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। कोर्ट ने तीनों की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया। वीवो इंडिया के CEO होंग ज़ुक्वान उर्फ टेरी, CFO हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल को एक दिन की ED हिरसत खत्म होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था, तीनों ने गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

ईडी ने वीवो पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम 

अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत आरोप लगाए। चार्जशीट में कहा गया कि वीवो ने 2014 से 2021 के बीच 1 लाख करोड़ रुपये भारत के बाहर भेजने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया। ईडी ने इस मामले में लावा इंटरनेशनल कंपनी के एमडी हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक को गिरफ्तार किया था।

केंद्रीय एजेंसी ने 2022 में अपनी जांच शुरू की थी और पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों के यहां छापा मारा था। ईडी ने अपनी कार्रवाई के बाद चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था।

वीवो ने 'होलसेल कैश एंड कैरी बिजनेस' की आड़ में स्वामित्व छुपाया 

चार्जशीट में ईडी ने 2014 से 2018 के बीच वीवो द्वारा एफडीआई मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया। कहा गया कि भारत के एफडीआई नियमों का फायदा उठाते हुए, वीवो ने 'होलसेल कैश एंड कैरी बिजनेस' की आड़ में अपना स्वामित्व छुपाया। ईडी ने आरोप पत्र में कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच से पता चला है कि वीवो ने 2014 के बाद से भारत के बाहर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम अपने द्वारा किराए पर ली गई कुछ 'ट्रेडिंग कंपनियों' को भेजी ताकि इन भारतीय कंपनियों पर वीवो चाइना के नियंत्रण की बात सरकारी प्राधिकारियों के की नजर में न आए।

वीवो ने 2014 से 2020 तक शून्य मुनाफा दिखाया, आयकर नहीं चुकाया 

ईडी ने कहा है कि वीवो ने 2014 से 2020 तक शून्य मुनाफा दिखाया और भारत में कोई आयकर नहीं चुकाया। प्रवर्तन निदेशालय ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के बाद 2022 में वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की थी। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने ईडी के पास अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि जीपीआईसीपीएल और उसके शेयरधारकों ने 2014 में भारत में इसके इनकॉर्पोरेशन के समय 'जाली' पहचान दस्तावेजों और नकली पते का इस्तेमाल किया था।