ज्ञानवापी केस::ASI की रिपोर्ट पर गिरिराज बोले मुस्लिम पक्ष खुद सौंप दे मस्जिद, तो ओवैसी ने उठाए सवाल,,,।
वाराणसी, चीफ़ ब्यूरो। ज्ञानवापी परिसर पर ASI सर्वे की रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कई दावे किए हैं। उन्होंने गुरुवार को एएसआई की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की। बताया कि रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्ञानवापी में पहले हिंदू मंदिर था.इसके बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने भी इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ट्वीट किया है। केशव प्रसाद मौर्य ने अपने ट्वीट पर सिर्फ 'हर हर महादेव!' लिखा है। वहीं, ब्रजेश पाठक ने ट्वीट किया बम बम भोले। बाबा की कृपा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट में लिखा कि ज्ञानवापी पर एएसआई सर्वे के बाद मुस्लिम पक्ष को खुद ही यह मंदिर हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए. इससे इतिहास में हुई गलतियों को सुधारने का अवसर मिलेगा और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा मिलेगा।
Gyanvapi Survey Report: 'ज्ञानवापी में बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था, तहखाने में मूर्ति भी मिली', ASI सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा
ओवैसी ने कहा अकादमिक जांच में नहीं टिकेगी रिपोर्ट
उधर, इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने एएसआई की रिपोर्ट पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया है कि यह पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा. रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मजाक उड़ाती है. जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था "एएसआई हिंदुत्व के हाथ की कठपुतली है।"
एएसआई की रिपोर्ट में लिखी गई हैं ये बातें
बताते चलें कि एएसआई की रिपोर्ट के एक हिस्से में कहा गया है कि वैज्ञानिक अध्ययन/सर्वेक्षण के आधार पर वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया. यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था. बताते चलें कि ASI सर्वे रिपोर्ट कुल 839 पन्नों की बताई जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिलर्स और प्लास्टर थोड़े मॉडिफिकेशन के साथ मस्जिद बनाने के लिए फिर से इस्तेमाल किए गए. हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया. पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई।
इसके साथ ही 32 शिलालेख मिलने की जानकारी भी दी गई है, जो पुराने हिंदू मंदिर के हैं। देवनागरी, ग्रंथतेलुगू, कन्नड़ भाषा में लिखे गए शिलालेख भी यहां से मिले हैं. तहखाने में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं, जिन्हें नीचे मिट्टी से दबा दिया गया था. यह पूरी तरीके से स्पष्ट है कि पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का ही हिस्सा है. 17वीं शताब्दी में हिंदू मंदिर को तोड़ा गया और इसके मलबे से ही वर्तमान ढांचा बनाया गया।