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स्वामी श्रील प्रभुपाद कौन थे? जिनके 150वीं जन्मोत्सव में PM मोदी आज होने वाले हैं शामिल

स्वामी श्रील प्रभुपाद कौन थे? जिनके 150वीं जन्मोत्सव में PM मोदी आज होने वाले हैं शामिल

दिल्ली के प्रगति मैदान में गुरुवार को श्रील प्रभुपाद के 150वीं जन्मोत्सव पर विश्व वैष्णव सम्मेलन 2024 का आयोजन होगा। तीन दिवसीय सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विश्व भर के वैष्णव भक्तों को मानव कल्याण और श्री चैतन्य महाप्रभु के उपदेशों को समाज में आगे बढ़ाने और भाईचारे का संदेश फैलाना है। स्वामी श्रील प्रभुपाद के जन्मोत्सव पर पीएम मोदी सिक्के और डाक टिकट का विमोचन भी करेंगे।

आखिर कौन हैं स्वामी श्रील प्रभुपाद?

स्वामी श्रील प्रभुपाद का जन्म 1 सितंबर, 1896 को कलकत्ता के एक हिंदू परिवार में अभय चरण डे के रूप में हुआ था. बताया जाता है बड़े होने पर वो देश के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने के लिए महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो गए थे. भक्ति की तरफ उनका झुकाव जब बढ़ा, जब उनकी मुलाकात श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती के साथ हुई।

श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ने अभय को भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को दुनिया में हर जगह फैलाने के कहा. अभय 1933 में श्रील भक्तिसिद्धांत के शिष्य बन गए और उन्होंने अपने गुरु के अनुरोध को पूरा करने का संकल्प लिया. पवित्र संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचकर श्रील प्रभुपाद ने कृष्ण चेतना के ज्ञान को साझा करना शुरू किया।

कुछ समय के बाद न्यूयॉर्क राज्य में उन्होंने अपना संगठन पंजीकृत किया और औपचारिक रूप से इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस की स्थापना की। स्वामी श्रील प्रभुपाद ने अपने दौरों पर 14 बार विश्व की परिक्रमा की और छह महाद्वीपों के हजारों लोगों तक भगवान कृष्ण की शिक्षाएं पहुंचाईं। स्वामी श्रील प्रभुपाद ने कृष्ण परंपरा पर 70 से अधिक खंड भी लिखे, जिनका विद्वानों द्वारा परंपरा के प्रति निष्ठा और स्पष्टता के लिए उनका आज भी सम्मान किया जाता है। उनके इन सब महान कार्यों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है। स्वामी श्रील प्रभुपाद तो दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणा-स्त्रोत बने हुए हैं।