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रोहित-जडेजा के शतक पर क्यों भारी पड़ गई सरफराज खान की 62 रन की पारी?, देखें,,,।

रोहित-जडेजा के शतक पर क्यों भारी पड़ गई सरफराज खान की 62 रन की पारी?, देखें,,,।

राजकोट टेस्ट मैच में सरफराज खान जब रन आउट हुए तो कैमरा पवेलियन पर गया. कप्तान रोहित शर्मा ने अपनी टोपी निकालकर गुस्से में पटक दी. वो जबरदस्त गुस्से में थे. कुछ ऐसा ही भाव करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का भी था, जिन्होंने सरफराज को बेवजह आउट होते देखा.सरफराज आउट इसलिए हुए क्योंकि जडेजा को शतक के लिए 1 रन चाहिए था. 98 से 99 के स्कोर पर पहुंचने के लिए भी जडेजा ने एक जोखिम भरा सिंगल लिया था. तब सरफराज की किस्मत अच्छी थी, उन्होंने छलांग लगाकर खुद को आउट होने से बचा लिया था. लेकिन जडेजा ने 99 से 100 पर पहुंचने के लिए जब यही काम किया तो अपनी ही कॉल पर क्रीज से बाहर आने के बाद रूक गए. सरफराज अपने साथी खिलाड़ी के शतक को पूरा कराने के लिए तब तक जी-जान लगाकर दौड़ चुके थे. वो जहां पहुंच गए थे उसके बाद अपनी क्रीज में पहुंचना संभव नहीं था. मार्क वुड का निशाना स्टंप बिखेर चुका था और करोड़ों क्रिकेट फैंस के सपने भी....।

थोड़ी देर बाद जडेजा का शतक भी पूरा हो गया. लेकिन शतक के बाद भी जडेजा विलेन जैसे दिख रहे थे. जडेजा का चेहरा खुद भी मुरझाया सा था. शतक बनाने के बाद बल्ले को तलवार के अंदाज में घुमाने के अपने स्टायलिश अंदाज में भी उन्होंने कुछ सेकेंड का समय लिया. शायद जडेजा भी समझ रहे थे कि शतक पूरा करने की उनकी बेताबी सरफराज खान पर भारी पड़ गई।

हालांकि इस टेस्ट मैच में जडेजा का शतक बहुत कीमती है. भूलना नहीं चाहिए कि जडेजा जब बल्लेबाजी करने क्रीज पर आए तो भारत का स्कोर 3 विकेट पर 33 रन था. उस मोड़ पर एक और विकेट का गिरना भारतीय टीम के लिए बड़ी मुसीबत बनने वाला था. लेकिन जडेजा ने ऐसा होने नहीं दिया. उन्होंने बहुत सूझबूझ के साथ बल्लेबाजी की. बावजूद इसके सरफराज का आउट होना खल गया. इसके पीछे दो वजहें थीं- अव्वल तो सरफराज खान को लंबे इंतजार के बाद डेब्यू का मौका मिला था. दूसरा जिस अंदाज में उन्होंने बल्लेबाजी की उसने हर किसी का दिल जीत लिया।

62 रन की पारी में था कई बातों का जवाब

आज से करीब 10 साल पहले की बात है. कोलकाता के इडेन गार्डेन्स में मुंबई का रणजी ट्रॉफी में बंगाल से मुकाबला था. उस मैच में सरफराज खान पहली बार फर्स्ट क्लास मैच खेलने उतरे थे. उस मैच में श्रेयस अय्यर, सूर्य कुमार यादव, शार्दुल ठाकुर, अशोक डिंडा, अभिमन्यु ईश्वरन, लक्ष्मी शुक्ला जैसे खिलाड़ी भी खेल रहे थे. उस मैच में सरफराज सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हो गए थे. डिंडा ने उन्हें एलबीडब्लू कर दिया था. इसके बाद 10 साल में सरफराज खान ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में साल दर साल कमाल किया. 45 मैच में करीब चार हजार रन ठोंक दिए।

करीब 70 की औसत से 14 शतक जड़ दिए. एक तिहरा शतक जड़ दिया. उन्होंने इतने रन बना दिए कि पिछले दो साल से भारतीय क्रिकेट फैंस के मन में जो तीन सवाल सबसे ज्यादा उठते थे उसमें से एक था कि सरफराज खान को भारतीय टीम में मौका क्यों नहीं मिल रहा है? वो मौका राजकोट में मिला. मैच के पहले दिन की सुबह अनिल कुंबले जैसे महान टेस्ट क्रिकेटर ने उन्हें कैप दी. उन्होंने पिता को गले लगा लिया. परिवार में हर किसी की आंख में आंसू थे. ये किसी एक खिलाड़ी के सपने के पूरा होने भर का दिन नहीं था बल्कि एक परिवार की मेहनत और संघर्ष को मिला ईनाम था.

भावुक हुए सरफराज खान के पिता

रोहित शर्मा के आउट होने के बाद जब वो बल्लेबाजी करने आए तो रोहित ने उनकी पीठ थपथपाई. ये रोहित का ऑल दे बेस्ट कहने का अंदाज था. रोहित कहना चाह रहे थे- आज तुम्हारा दिन है सरफराज, जाओ जाकर दिखाओ कि तुम्हारा टैलेंट क्या है. घरेलू क्रिकेट में दोनों खिलाड़ियों की टीम एक ही है.

रोहित शर्मा को क्यों आया इतना गुस्सा

सरफराज खान की बल्लेबाजी को समझना होगा. सरफराज जब क्रीज पर आए तो जडेजा 84 रन पर थे. जडेजा 99 पर पहुंचे तब तक सरफराज अपने 62 रन पूरे कर चुके थे. सरफराज कमाल की बल्लेबाजी कर रहे थे. उन्होंने स्पिनर्स को कमाल के आत्मविश्वास के साथ खेला. उन्होंने स्वीप शॉट पूरी सफाई से खेला. तेज गेंदबाजों के सामने वो निडर थे. 70 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने वाले सरफराज खान यहां भी उसी आक्रामकता से बल्लेबाजी कर रहे थे. 62 रन की पारी में उन्होंने 9 चौके और 1 छक्का लगाया था. वो इस मैच में जीत और हार के बीच का अंतर बनने वाली पारी खेल सकते थे. वो इंग्लिश गेंदबाजों का मनोबल तोड़ सकते थे. जिसके लिए उनका स्वीप शॉट ही काफी था.

जो सीरीज के बाकि बचे दो मैच में भी इंग्लिश गेंदबाजों को परेशान करता. जिस आत्मविश्वास और आक्रामकता से वो रन बना रहे थे अगर मैच के दूसरे दिन एकाध घंटे भी क्रीज पर रह जाते तो टीम का स्कोरबोर्ड बहुत मजबूत हो चुका होता. रोहित शर्मा समझ रहे हैं कि इस टेस्ट मैच में अगर इंग्लैंड की टीम पूरी तरह काबू में रखना है तो करीब 550 रन स्कोरबोर्ड पर जुड़ने चाहिए. सरफराज का विकेट गिरने से इसी उम्मीद को झटका लगा है. इसीलिए कप्तान अपनी झुंझलाहट को छिपा भी नहीं पाए. जडेजा से लगभग वैसी ही गलती हुई है जैसी पहले टेस्ट मैच में अक्षर पटेल से हुई थी.

जब उन्होंने ऑली पोप का कैच छोड़ दिया था. वो कैच उस मैच में हार-जीत के बीच का अंतर बना था. अब यहां से जडेजा एक ही पश्चाताप कर सकते हैं. क्रिकेट में पुरानी कहावत हैं. कहते हैं कि अगर किसी एक बल्लेबाज की गलती से दूसरा बल्लेबाज रन आउट हो गया हो तो जिस बल्लेबाज की गलती थी उसे दूसरे के हिस्से के भी रन बनाने होते हैं। 

जडेजा को मैच के दूसरे दिन यही काम करना था, लेकिन जडेजा वह काम दूसरे दिन नहीं कर सके और जल्दी आउट होकर आसान सा लालीपाप कैच थमा कर चलते बने। आर अश्विन 23 रन 54 बाल पर और ध्रुव जुरैल15 रन 44 बाल पर बना कर खेल रहे हैं। भारत का स्कोर 7 विकेट पर 369 रन है खेल अभी जारी है अपडेट के लिए देखते रहिए "केसरी न्यूज़ नेटवर्क" पर।