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900 साल पुरानी बाबा रोजबीह की मजार पर चला बुलडोजर, भारत में रखी थी इस्लाम की नींव

900 साल पुरानी बाबा रोजबीह की मजार पर चला बुलडोजर, भारत में रखी थी इस्लाम की नींव

नई दिल्ली, (ब्यूरो) आर.पी.यादव। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के महरौली इलाके में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) का बुलडोजर अभियान सवालों में घिरा हुआ है। यहां संजय वन के अंदर मौजूद करीब 600 साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद को ढहाने का विवाद थमा भी नहीं था कि, डीडीए ने यहां बाबा हाजी रोज़बीह की मजार को भी जमींदोज कर दिया है। हाजी रोज़बीह को दिल्ली के पहले सूफी संतों में से एक माना जाता है, जिनकी मजार को वहां से हटा दिया गया।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजय वन के अंदर कई धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया, जिसमें 12वीं शताब्दी की यह कब्र भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक डीडीए अधिकारी ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'रिज प्रबंधन बोर्ड के अनुसार, रिज क्षेत्र सभी प्रकार के अतिक्रमण से मुक्त होना चाहिए, और इसलिए एक समिति का गठन किया गया जिसने संजय वन के अंदर कई अवैध संरचनाओं को हटाने का सुझाव दिया।'

इतिहासकारों ने DDA की कार्रवाई पर उठाए सवाल

दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया था कि इन अतिक्रमणों में कई बहुमंजिला इमारतें और विशाल फार्महाउस शामिल हैं, जिनमें से कई रिज के घने जंगलों में अंदर तक फैले हुए हैं। हालांकि कई अदालती आदेशों और टिप्पणियों के बावजूद, अधिकारियों ने उन्हें हटाने के लिए कुछ नहीं किया है। ऐसे में 900 साल पुरानी इस मजार को जमींदोज करने की इस कार्रवाई पर कई इतिहासकारों ने सवाल उठाते हुए हैरानी जताई कि क्या एजेंसियां वन क्षेत्र में नए उल्लंघनों के बजाय पुराने स्मारकों को निशाना बना रही है।

यह कब्र किला लाल कोट के प्रवेश द्वार पर थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सहायक अधीक्षक मौलवी जफर हसन द्वारा 1922 में प्रकाशित 'मोहम्मडन और हिंदू स्मारकों की लिस्ट, वॉल्युम III- महरौली जिला' में इसका जिक्र मिलता है। इसमें बताया गया है कि 'बाबा हाजी रोज़बीह को दिल्ली के सबसे पुराने संतों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वह राय पिथौरा के समय दिल्ली आए थे और किले की खाई के पास एक गुफा में अपना निवास स्थान बनाया था।'

दिल्ली में इस्लाम फैलाने में बड़ा हाथ 

इस किताब में जिक्र किया गया है कि 'बाबा रोज़बीह की सलाह पर कई हिंदुओं ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। ज्योतिषियों ने इसे एक अपशकुन माना था और राजा को बताया था कि बाबा हाजी का आगमन दिल्ली में मुस्लिम शासन के आगमन का पूर्वाभास देता है।' स्थानीय लोककथा में कहा गया है कि राय पिथौरा की एक बेटी ने भी उनके जरिये ही इस्लाम अपनाया था और उन्होंने ही वहां उनकी मजार बनवाई थी।

एएसआई (दिल्ली सर्कल) के अधीक्षण पुरातत्वविद प्रवीण सिंह ने बताया कि यह कब्र एएसआई के तहत संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में नहीं था। सिंह ने कहा, 'यह लिस्ट में नहीं है। इसके विध्वंस से पहले डीडीए या किसी अन्य निकाय ने हमसे संपर्क नहीं किया था।'

हालांकि प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक राणा सफ़वी डीडीए की इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहती हैं कि संजय वन के अंदर धार्मिक संरचनाओं को 'अतिक्रमण' कहना गलत था। उन्होंने कहा, 'बाबा हाजी रोज़बीह की कब्र यहां सदियों से है। अतीत की कोई चीज़ वर्तमान में अतिक्रमण कैसे हो सकती है? यह छात्रों, इतिहासकारों और दिल्ली के लिए बहुत बड़ी क्षति है।'