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वाह री किस्मत :: करोड़ों की मालकिन के शव को चूहों ने कुतरा, अंतिम संस्कार में नहीं आया परिवार, कहा- आने का समय ही नहीं है,,,।

वाह री किस्मत :: करोड़ों की मालकिन के शव को चूहों ने कुतरा, अंतिम संस्कार में नहीं आया परिवार, कहा- आने का समय ही नहीं है,,,।

लखनऊ, ब्यूरो। मेरठ में घर में अकेली रहने वाली नब्बे साल की पूर्व शिक्षिका को मरे दस दिन हो गए और किसी को खबर नहीं लगी। पड़ोस में रहने वाला रिश्ते का भतीजा खैर-खबर लेने घर पहुंचा तो बदबू आई।पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो बेडरूम का दृश्य भयावह था। चेहरे समेत शरीर को चूहों ने कुतर रखा था।

फॉरेंसिक टीम के मुताबिक, महिला की मौत करीब दस दिन पहले हुई होगी। बेकद्री की हद तब हुई जब बाहर रहने वाले परिजनों ने आने के लिए समय न होने की बात कहते हुए अंतिम संस्कार का खर्च ऑनलाइन भेजने को कहा।

इसके बाद पड़ोसी एवं दूर के रिश्तेदारों ने मानवता का परिचय दिया और ब्रजघाट पर अंतिम संस्कार कर दिया। कमला सरीन अविवाहित थीं और लंबे समय से घर में अकेली रहती थीं। कमला की करोड़ों की संपत्ति है। कई घर और दुकानें भी किराए पर हैं। कमला सरीन के सबसे बड़े भाई रामपाल आईएएस थे। चारों भाइयों के परिवार देश के अन्य शहरों एवं विदेश में रहते हैं।

90 वर्षीय कमला सरीन मेरठ की प्रतिष्ठित सोफिया गर्ल्स स्कूल की शिक्षिका थीं। पड़ोसियों ने दस दिन से नहीं देखा था। सोमवार रात रिश्ते के भतीजे एवं पड़ोसी सीए संजीव सरीन उनके घर गए तो आंगन में भयंकर बदबू आ रही थी।

खिड़की से झांककर देखा तो बेड पर कमला का शव पड़ा था। पुलिस पहुंची तो बेडरूम का गेट तोड़ा गया। शव पूरी तरह से सड़ चुका था। चेहरे को चूहों ने कुतर दिया था। पुलिस प्रशासन और पड़ोसियों के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसी को कहते हैं? वाह री किस्मत !! करोड़ों रूपए रहते हुए भी अंतिम समय में कोई काम नहीं आया, इसी  से कहते हैं कि समय रहते ही सभी कार्य हो तो ही अच्छा है। अंतिम समय में पैसा साथ नहीं जाएगा, सिर्फ आपका किया हुआ सत्कर्म ही जाएगा।
रिपोर्ट : एन. के. यादव ।