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"हनुमान गियर" मुख्तार अंसारी का यह जुमला विरोधियों पर सटीक बैठता था, जिसके लगने के बाद थर-थर कापते थे दुश्मन...

"हनुमान गियर" मुख्तार अंसारी का यह जुमला विरोधियों पर सटीक बैठता था, जिसके लगने के बाद थर-थर कापते थे दुश्मन...

हनुमान गियर… 90 के दशक में ये गियर न किसी मोटरसाइकिल में लगता था न ही फोर व्हीलर में. ये एक प्रकार का खास गियर था, जो किसी का काम तमाम करने के लिए लगाया जाता था। इसके लगने के बाद वो शख्स चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, बच नहीं पाता था। चाहे पाताल में ही छिपकर क्यों न बैठा हो? उसकी जान जानी तय ही थी, ये हनुमान गियर था माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का। मुख्तार के इस हनुमान गियर के लगने का मतलब होता था ‘साम-दाम-दंड-भेद’ चाहे जैसे भी हो टारगेट किया गया व्यक्ति जिंदा नहीं बचना चाहिए, हर हाल में उसको जल्द से जल्द से रास्ते से हटाना है।

दरअसल, हनुमान गियर मुख्तार को मिला कहां से, इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। बात उस समय की है, जब मुख्तार की गैंग में अन्नू त्रिपाठी नाम का शूटर हुआ करता था। मुख्तार को अपने इस शूटर पर पूरा भरोसा रहता था, मुख्तार की गैंग में इसका खास ओहदा था। मुख्तार जब भी कोई मुश्लिक काम अन्नू को सौंपता था तो ये मानकर चलता था कि काम 100 प्रतिशत पूरा होकर रहेगा। अन्नू की एक खासियत ये थी कि मुख्तार भले ही उसको काम सौंपकर भूल जाए, लेकिन अन्नू को वह काम याद रहता था।

…जब विरोधियों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती

अगर, काम पूरा नहीं होता तो याद आने पर मुख्तार उसे टोंकता था। इस पर अन्नू मुख्तार से पुरवइया लहजे में एक बात कहता था गुरु हनुमान गियर लगावत हई। अन्नू के मुंह से ये बात सुन मुख्तार के चेहरे पर एक अलग से चमक आ जाती थी। धीरे-धीरे मुख्तार को अन्नू का ये जुमला इतना पसंद आने लगा कि उसने इसे अपना तकिया कलाम बना लिया। धीरे-धीरे मुख्तार के विरोधियों को हनुमान गियर के बारे में पता चला तो उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। विरोधी समझ जाते थे कि अगर किसी पर हनुमान गियर लगा है तो उसकी जान जानी तय है।

हनुमान गियर को अपना तकिया कलाम बनाया

शूटर अन्नू त्रिपाठी की जेल में हत्या होने के बाद भी मुख्तार ने उसके इस हनुमान गियर को अपना तकिया कलाम बनाकर जिंदा रखा। इसके बाद किसी भी तरह का काम हो, अगर मुख्तार को पसंद आ गया तो वह उसे हर हाल में पूरा करता था। अगर काम पूरा होने में देरी होती थी तो कहता था, ‘हनुमान गेयर लगावत हई, थोड़ा इंतजार करा’ हनुमान गेयर का मतलब साम-दाम-दंड-भेद से यह काम करना ही है। मुख्तार का विरोधी गुट इस हनुमान गियर से खौफ खाता था। इसके लगने के बाद विरोधी गुट के गुर्गे अपने लिए सुरक्षित ठिकाना ढूंढने में लग जाते थे. वह अपने सरदार से यही कहते थे कि अरे वहां से हनुमान गियर लगा है. बच के रहना है।

टास्क कितना भी मुश्किल, हनुमान गियर लगते ही फिनिश

मुख्तार अंसारी को करीब से जानने वाले इस बात का जिक्र करते हुए बताते हैं कि मुख्तार जब किसी काम में चूक जाता तो परेशान हो जाता था। मुख्तार के लिए वो मुश्किल भरा टास्क हो जाता और इस टास्क को हर हाल में पूरा करना उसकी जिद हो जाती। मुख्तार को लगता कि अब वो इसमें फंस चुका है तो एक ही बात मुंह से बोलता, वही अपना तकिया कलाम, हनुमान गियर लगावत हुई। इस जुमले का मतलब ही होता था कि वो काम अब साम-दाम-दंड-भेद यानी किसी भी तरीके और किसी भी सूरत में होकर रहेगा। जब तक वह काम पूरा नहीं हो जाता, मुख्तार चैन की नींद नहीं सो पाता था।

बांदा मेडिकल कॉलेज में मुख्तार अंसारी की मौत

बता दें कि माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को बीते 28 मार्च को बांदा जेल में हार्ट अटैक आने के बाद रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। 29 मार्च को शाम तक पोस्टमार्टम के बाद मुख्तार का शव उसके गृह जनपद गाजीपुर के लिए रवाना कर दिया गया। आज कालीबाग कब्रिस्तान में मुख्तार अंसारी को सुपुर्दे खाक किया गया। मुख्तार अंसारी पर तीन राज्यों दिल्ली, पंजाब और यूपी में कुल 65 मुकदमे दर्ज थे। इनमें हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर जैसे मामले थे। इनमें से आठ मामलों में उसे सजा हो चुकी थी। पंजाब की रोपड़ जेल से आने के बाद वह यूपी की बांदा जेल में बंद था।