वाराणसी:नए सत्र की किताबों के दाम10प्रतिशत बढ़े, नए सत्र की पाठ्य सामग्री के दाम मे वृद्धि से गार्जियन का बजट हो रहा है असंतुलित...
वाराणसी, ब्यूरो। निजी स्कूलों में नए सत्र की पढ़ाई शुरू हो गई है। इसके साथ ही अभिभावकों की पेशानी पर बल भी पड़ गए हैं। कारण है?बच्चों की किताब-कॉपियों का बोझ है। इनकी बढ़ी कीमतें जेब पर भारी पड़ रही हैं। सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की किताबों के कुछ निजी प्रकाशकों ने 10 फीसदी तक दाम बढ़ा दिए हैं। कॉपियों की कीमतें भी 15 फीसदी तक बढ़ी हैं। निजी प्रकाशकों ने नई डिजाइन, बेहतर प्रिंट और क्वालिटी के नाम पर अभिभावकों पर बोझ डाल दिया है। दुकानदार भी एमआरपी पर छूट देने से साफ इनकार कर दे रहे हैं। गुरुबाग, रथयात्रा पर किताब, कॉपी की दुकानों पर ग्राहकों से इसे लेकर बहस भी हो रही है।
यह हाल तब है जबकि मिलों ने कागज के दाम नहीं बढ़ाए हैं। कक्षा 9 से 12वीं तक की किताबों के दाम अधिक बढ़े हैं। नर्सरी से आठवीं कक्षा तक की पाठ्यपुस्तकों के अलावा स्टेशनरी के दाम में भी इजाफा हुआ है। कक्षा एक से आठ तक की किताब, कॉपी खरीदने में अभिभावकों पर 500 से 1500 रुपये तक का अतिरिक्त बोझ बढ़ा है। यदि स्टेशनरी भी शामिल की जाए तो यह दबाव तीन हजार रुपये तक (प्रति विद्यार्थी) बढ़ा है। सबसे ज्यादा कीमत सीबीएसई बोर्ड के निजी प्रकाशकों की किताबों की बढ़ी है।
आईसीएसई बोर्ड में कक्षा दो की किताब-कॉपी का खर्च 4200 रुपये के आसपास है। जबकि इसी कक्षा में सीबीएसई बोर्ड के कुछ निजी स्कूलों की किताबें करीब 5000 रुपये बैठ रही है। सीबीएसई में कक्षा 9 की किताबों का सेट 6500 से बढ़कर 7500 हजार रुपये के आसपास हो गया है।
मच्छोदरी निवासी राजेश केसरी ने कहा कि फीस में निजी स्कूल लगातार वृद्धि कर रहे हैं। किताब कॉपी में भी उन्हें प्रकाशकों से कमीशन चाहिए. सरकार का प्रकाशकों पर और निजी स्कूलों पर कोई अंकुश नहीं है।
वहीं गोलादीनानाथ बाज़ार के रहने वाले संदीप राजकुमार, प्रिंस केसरी का कहना है कि, अब तो लगता है,की बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवाकर सरकारी स्कूल में ही पढ़ाना होगा।