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गुड़ी पड़वा पर काशी में दिखेगी मिनी महाराष्ट्र की झलक, मराठी भीतरी मोहल्लों में शुरू हुई तैयारी, जाने क्या है? शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व...

गुड़ी पड़वा पर काशी में दिखेगी मिनी महाराष्ट्र की झलक, मराठी भीतरी मोहल्लों में शुरू हुई तैयारी, जाने क्या है? शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व...

वाराणसी, ब्यूरो। लघु भारत के रूप में मशहूर काशी में गुडी पड़वा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस अवसर पर भक्ति के साथ ही उत्सव की चमक मराठी मोहल्लों में नजर आएगा। ब्रह्मा घाट, बीवी हटिया, पंचगंगा घाट, दुर्गा घाट पर रहने वाले मराठा समाज के लोग रहते हैं। वहां, गुड़ी पड़वा के अवसर पर मिनी महाराष्ट्र की झलक दिखेगी।

गणेश आपा पंचांग के अनुसार गुड़ी पड़वा की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल रात 11:50 बजे से शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि नौ अप्रैल को शाम 08:30 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के हिसाब से गुड़ी पड़वा का पर्व नौ अप्रैल को मनाया जाएगा। उपेंद्र विनायक सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि हिंदू धर्म में नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास से होती है। 

महाराष्ट्र यानी मराठी संस्कृति में हिंदू नववर्ष को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। काशी में गुड़ी पड़वा का पर्व मराठाओं के समय से ही मनाया जाता है और आज तक वह परंपरा कायम है। यह दिन फसल दिवस का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व ब्रह्मा जी की पूजा भी की जाती है।

घरों को सजाते हैं गुड़ि से, खाते हैं नीम की पत्तियां

मराठी समाज के संतोष सोलापुरकर ने बताया कि गुड़ी पड़वा के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करती हैं और उसके बाद अपने घरों को गुड़ि से सजाती हैं। गुड़ी को पारंपरिक रूप से एक बांस की छड़ी का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है जिसके ऊपर एक उल्टा चांदी, तांबा या पीतल का बर्तन रखा जाता है। फिर इस पर स्वास्तिक बनाकर केसरिया रंग के कपड़े, नीम या आम के पत्तों और फूलों से सजाकर इसे घर के सबसे ऊंचे स्थान पर रखा जाता है।

घर के मुख्य द्वारों को रंगोलियों और फूल माला से सजाते हैं। इसके साथ ही मुख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण बांधा जाता है। प्रसाद के रूप में पूरन पोली और श्रीखंड जैसे खास व्यंजन तैयार करते हैं। साथ ही इस दिन सुबह शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने की भी परंपरा है। बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए इस दिन नीम की कोपल को गुड़ के साथ खाने का भी विधान है।

गुड़ी पड़वा पर हुई थी सृष्टि की रचना

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुड़ी पड़वा का दिन सृष्टि की रचना के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसके अलावा एक और मान्यता है कि इस दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को युद्ध में पराजित किया था। कहते हैं कि गुड़ी पड़वा के दिन बुराइयों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।