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अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर पवित्र काशी गंगा में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी...

अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर पवित्र काशी गंगा में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी...

शुभ मुहूर्त से ही श्रद्धालु गंगा में स्नान करते दिखे, -गंगा घाटों पर मेले जैसा नजारा हुआ, शरबत, नमक, चावल और चांदी के सामान, व मिट्टी के घड़े में पानी भरकर दान दिया गया

धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर स्नान-दान से हर पाप की मुक्ति हो जाती है। दोष खत्म हो जाते हैं। हिन्दू पुराणों में इसे दिव्य स्नान की भी मान्यता दी गई है। पुरोहितों के अनुसार, अगर भक्त गंगा स्नान नहीं करने नहीं जा पा रहा है तो गंगाजल की कुछ बूंदे पानी में डालकर भी नहा सकता है। ऐसा करने से भी तीर्थ का लाभ मिलता है। 

वाराणसी, 10 मई। अक्षय तृतीया पर शुक्रवार को लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा स्नान के बाद लोगों ने घाटों पर शरबत, नमक, चावल और चांदी के सामानों के साथ मिट्टी के पात्र में जल भरकर दान किया। दान पुण्य के बाद लोगों ने बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा के दरबार में हाजिरी लगाई। स्नानार्थियों के चलते गंगा घाटों पर मेले जैसा नजारा दिखा।

अक्षय तृतीया पर अलसुबह से ही गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु नंगे पांव पहुंचने लगे। दशाश्वमेधघाट शीतलाघाट, राजेन्द्र प्रसाद, अहिल्याबाई घाट, मानसरोवर, पंचगंगा और अस्सीघाट पर गंगा स्नान के लिए भारी भीड़ जुटी रही। इस पावन पर्व पर गंगा स्नान के लिए उमड़ी भीड़ को देख एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान भी गंगा में चक्रमण करते रहे। घाटों पर माइक से अनाउंस किया जा रहा था कि पानी में ज्यादा दूर तक न जाएं। सुरक्षा को देखते हुए किनारे घाट की सीढ़ियों पर ही स्नान करें। 

मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर स्नान-दान से हर पाप से मुक्ति मिलती है। दानपुण्य ये ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार यह अक्षय तृतीया ऐसी तिथि है जिसमें किए गए कार्य अक्षय हो जाते हैं। इस बार अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा और गुरु की वृषभ राशि में युति से गजकेसरी योग, मंगल और बुध की मीन राशि में युति से इसका और महत्व बढ़ गया है।