Headlines
Loading...
पूर्वांचल में आखिरी चरण का चुनाव बना है रण, चुनावी क्षेत्रों में राज्यपालों की मौजूदगी बनी है , चर्चा का विषय...

पूर्वांचल में आखिरी चरण का चुनाव बना है रण, चुनावी क्षेत्रों में राज्यपालों की मौजूदगी बनी है , चर्चा का विषय...

लखनऊ, ब्यूरो। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में 13 सीटों पर एक जून को मतदान होना है, लेकिन मतदान से पहले कई राज्यों के राज्यपाल इस समय पूर्वांचल के अलग-अलग शहरों में सक्रिय हैं और ये चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि इनकी सक्रियता राजनीतिक गतिविधियों से बिल्कुल अलग है और ये धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम तक सीमित हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तीन दिन से बनारस, गाजीपुर और मऊ में भ्रमण कर रहे हैं। गाजीपुर और बनारस में उनका घर है। साथ ही वाराणसी में उनका दर्शन-पूजन का कार्यक्रम भी लगा रहता है।

सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य 25 मई से वाराणसी में हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी वो शामिल हो रहे हैं। बनारस और रामनगर में कई गैर राजनीतिक कार्यक्रमों में वो शामिल हुए. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आए। कुछ समय उन्होंने बनारस में अपने परिचितों के साथ भी बिताया। कुछ दिन पहले यूपी और उत्तराखंड के राज्यपाल भी सपरिवार दर्शन-पूजन के लिए बनारस पहुंचे थे। हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला भी कुछ दिन पहले गोरखपुर पहुंचे थे, हालांकि ये उनका निजी कार्यक्रम था।

राज्यपालों के आने की चर्चा के पीछे की वजह

लोकसभा चुनाव के बीच में एक साथ इतने राज्यपालों का पूर्वांचल में आना जाना लगा हुआ है। भले ही उनका कार्यक्रम सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ा हो या दर्शन पूजन के लिए ही वो आ रहे हों, लेकिन उनके आने-जाने को लेकर चर्चा तो हो ही रही है। चर्चा के पीछे की वजह भी है, मनोज सिन्हा गाजीपुर से सांसद रह चुके हैं और वहां से बीजेपी उम्मीदवार पारस राय के बेहद करीबी भी हैं। ऐसे में उनके गाजीपुर या मऊ में मौजूद रहने से राजनीतिक चर्चा तो होगी ही।

लक्ष्मण आचार्य काशी क्षेत्र के अध्यक्ष रहे हैं, साथ ही एमएलसी भी, ऐसे में उनके बनारस और उससे सटे रामनगर में उनकी मौजूदगी और खासतौर पर पॉलिटिकल टाइमिंग को लेकर लोगों में कौतुहल का विषय बना हुआ है। कलराज मिश्र किसी जमाने में यूपी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे, वो बेहतर तरीके से पूर्वांचल को समझते हैं। उनके आने-जाने से भी चर्चा हो रही है। शिव प्रताप शुक्ला कभी बीजेपी के गोरखपुर में दमदार चेहरा थे, उनकी भी सक्रियता को लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं। घोषी क्षेत्र से आने वाले फागु चौहान भी राज्यपाल बनने से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक रहें हैं, नूनिया समाज में बेहद मजबूत पकड़ मानी जाती है ,लेकिन फागु चौहान क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं.

‘राज्यपाल रणनीति बनाने की बजाय बना रहे हैं माहौल’

वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार लोकसभा चुनाव के दौरान राज्यपालों के पूर्वांचल में सक्रिय होने को दूसरे तरीके से देख रहे हैं। इनका कहना है कि बीजेपी की मदद के लिए तमाम मंत्री और राज्यपाल इस समय बनारस, गोरखपुर, गाजीपुर और मऊ जैसे शहरों में एक्टिव नजर आ रहे हैं। मंत्रियों को तो गली मुहल्लों में वोट मांगते और बीजेपी के लिए रणनीति बनाते हम रोज देख ही रहे हैं, लेकिन राज्यपालों के साथ चूंकि संवैधानिक मर्यादा जुड़ी हुई है लिहाजा वो सीधे वोट मांगने या रणनीति बनाने की बजाय माहौल बना रहे हैं। अपने लोगों के साथ बैठक कर और अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों के साथ सम्मेलन कर बीजेपी के पक्ष में अपना गिलहरी प्रयास कर रहे हैं।