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अब बदले कार्यक्रम में पीएम मोदी वाराणसी में बिताएंगे 16 घंटे, रोपवे निर्माण कार्य के साथ कई  परियोजनाओं का करेंगे निरीक्षण...

अब बदले कार्यक्रम में पीएम मोदी वाराणसी में बिताएंगे 16 घंटे, रोपवे निर्माण कार्य के साथ कई परियोजनाओं का करेंगे निरीक्षण...

वाराणसी, ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब पांच घंटे की बजाय अपने संसदीय क्षेत्र काशी में 16 घंटे रहेंगे। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के अनुसार प्रधानमंत्री 18 जून की शाम चार बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे।19 जून की सुबह करीब आठ बजे वह बरेका स्थित हेलिपैड से एयरपोर्ट और फिर वहां से दिल्ली रवाना होंगे।

पीएम मोदी का वाराणसी प्रवास कार्यक्रम

प्रधानमंत्री मोदी बाबतपुर एयरपोर्ट से सेना के हेलिकॉप्टर से मेहंदीगंज स्थित जनसभा स्थल जाएंगे। वहां से लगभग छह बजे वह पुलिस लाइन ग्राउंड स्थित हेलीपैड आएंगे। फिर, सड़क मार्ग से श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन करने जाएंगे। दर्शन-पूजन के बाद वह दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन करेंगे और गंगा आरती में शामिल होंगे। रात आठ बजे वह दशाश्वमेध घाट से सड़क मार्ग से रात्रि विश्राम के लिए बरेका स्थित ऑफिसर्स गेस्ट हाउस जाएंगे। रात्रि विश्राम के बाद बुधवार की सुबह वह दिल्ली रवाना हो जाएंगे।

रात में रोपवे प्रोजेक्ट का कर सकते हैं निरीक्षण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार की रात काशी विद्यापीठ स्थित निर्माणाधीन रोपवे प्रोजेक्ट के कामकाज का निरीक्षण किया था। इसलिए माना जा रहा है कि मंगलवार की रात प्रधानमंत्री भी रोपवे प्रोजेक्ट के कामकाज का स्थलीय निरीक्षण कर सकते हैं। इसके लिए पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर तैयारी की गई है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय पीएमओ के स्तर से अनुमति मिलने के बाद ही लिया जाएगा।

एसपीजी ने किया निरीक्षण, अफसरों संग की बैठक

प्रधानमंत्री के आगमन के मद्देनजर एसपीजी के अधिकारियों का दल शहर आ गया है। एसपीजी के अफसरों ने शनिवार को बाबतपुर एयरपोर्ट, बरेका स्थित ऑफिसर्स गेस्ट हाउस, मेहंदीगंज स्थित सभास्थल, दशाश्वमेध घाट और विश्वनाथ धाम का निरीक्षण कर पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ बैठक की। 

एसपीजी के अफसरों ने कहा कि आमजन को दिक्कत न होने पाए। प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था की आड़ में सुरक्षाकर्मी काशीवासियों से दुर्व्यवहार न करें। प्रधानमंत्री दशाश्वमेध घाट जब आएंगे तो उनकी सुरक्षा से संबंधित डी घेरे के बाहर आम श्रद्धालुओं को घाट की सीढ़ी पर बैठने दिया जाए। दशाश्वमेध घाट और उसके आसपास के घाटों को छोड़कर अन्य गंगा घाटों पर नौकायन प्रतिबंधित न किया जाए।