वाराणसी में विकास का कवच भी नहीं रहा अभेद भाजपा को न "सबका साथ ही मिला ना सबका विकास" का एजेंडा...
वाराणसी, ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक तो बना दी लेकिन सिर्फ डेढ़ लाख मतों से जीत के अंतर ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। सबसे अहम सवाल यह कि 'सबका साथ-सबका विश्वास' के जिस मंत्र के साथ नरेंद्र मोदी ने काशी से संसदीय राजनीति का श्रीगणेश किया, सन-2019 के चुनाव में उस मंत्र में 'सबका विश्वास' शब्द जोड़ा, वह विकास का 'कवच' अभेद्य और अजेय क्यों नहीं रह सका?
पहले वोटिंग प्रतिशत और अब परिणाम से भाजपा की रणनीति पर सवाल उठ रहा है। जीत के अंतर से स्पष्ट है कि विकास के कवच के भरोसे इस बार भाजपा को न तो सबका साथ मिला है और न ही सभी का विश्वास हासिल हो सका। 2014 में भाजपा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार विकास के मुद्दे पर ही देशभर में चुनाव लड़ी थी। लेकिन इस बार मोदी के 10 वर्षों के कार्यों को भुनाने में भाजपा नाकामयाब रही।
प्रधानमंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं को 'बूथ जीता, चुनाव जीता' का मंत्र और 'हर बूथ पर पिछली बार से 370 ज्यादा वोट' के साथ 400 पार का भी लक्ष्य दिया। जैसा कि सूत्रों ने कहा, उन लक्ष्यों के अनुसार भाजपा चुनावी रणनीति का क्रियान्वयन नहीं कर सकी। इसलिए रिकार्ड मतों से जीत का इतिहास भी नहीं रचा जा सका।
काशी में विकास का कीर्तिमान मोदी ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में काशी के आधारभूत, ढांचागत विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए अरबों रुपये की परियोजनाएं उतारीं। एक आंकड़े के मुताबिक 45 हजार करोड़ के विकास कार्य काशी में करा चुके हैं। 700 से 800 करोड़ रुपये के काम गतिमान भी हैं।
एयरपोर्ट से गंगा घाट, घर के नल से नदी तक, तारों को भूमिगत करने से लेकर सोलर सिटी सहित सैकड़ों परियोजनाएं आईं। सड़कें सुगम हुईं तो विश्वस्तरीय अस्पताल और चिकित्सा सुविधाएं विकसित हुईं. देश में पहले सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे तो ईरी जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान ने काशी के विकास में कीर्तिमान स्थापित किए।