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विशेष लेख::समय से मानसून ना होने के कारण बनारसी लंगड़ा आम व्यापार को लगा करारा झटका, इसके निर्यात पर गहराया संकट...

विशेष लेख::समय से मानसून ना होने के कारण बनारसी लंगड़ा आम व्यापार को लगा करारा झटका, इसके निर्यात पर गहराया संकट...

विशेष, बनारसी लंगड़ा आम :: वाराणसी का लंगड़ा आम पूरे विश्व में मशहूर है। इसके ख्याल से ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। लोगों द्वारा इसे खूब पसंद किया जाता है। बीते वर्षों में बनारस से इसे खाड़ी देशों तक निर्यात किया जा चुका है। लेकिन इस बार लंगड़ा आम के पैदावार पर मौसम की मार पड़ती दिखाई दे रही है। और इन्हीं वजहों से इस बार बनारस के लंगड़ा आम को दूसरे देशों में निर्यात नहीं किया गया है। इस बार पड़ रही प्रचंड गर्मी, कम बारिश और पूर्वा हवा के न चलने की वजह से अच्छी संख्या में बनारसी लंगड़ा आम की पैदावार नहीं हुई है।

मीडिया से बातचीत के दौरान FPO के सदस्य शार्दुल विक्रम ने बताया कि प्रचंड गर्मी और कम बारिश का असर सीधे तौर पर बनारस के लंगड़ा आम के पैदावार पर पड़ा है। लंगड़ा आम का जो पैदावार हुआ है उनमें पिछले वर्ष के तुलना में साइज में कमी देखी गई है। इसकी वजह से इस बार इन्हें दूसरे देशों को निर्यात नहीं किया गया है। 
बीते महीने जापान की एक टीम ने भी बनारस के लंगड़ा आम सहित अन्य फल और फूल पर इंस्पेक्शन किया था। फलों और सब्जियों के लिए पूर्वा हवा,अच्छी बारिश और मौसम का अनुकूल होना आवश्यक है। प्रकृति के बेहतर तालमेल से ही फल सब्जी और अनाजों की खेती होती है, इस बार प्रचंड गर्मी ने खेती को प्रभावित किया है। इन्हीं वजह से किसान भाइयों ने निर्णय लिया है कि इस बार हम बनारसी लंगड़े आम को अपने घरेलू बाजार में ही बेचेंगे।

किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या

शार्दुल ने केंद्र और प्रदेश सरकार का आभार जताते हुए कहा कि वर्तमान समय में कृषि जगत के लिए अनेक नई तकनीक मददगार साबित हो रही है जिससे फसलों के पैदावार और उनको सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। एक सबसे बड़ी चुनौती का भी जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या यह है कि अपने उत्पाद को सही समय पर बाजार तक पहुंचाना और उनका उचित मूल्य प्राप्त करना। क्योंकि किसान पूरी तरह से अपने खेती पर केंद्रित रहता है, जबकि आज के बाजार में फसलों को पहुंचना एक व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा से होकर गुजरने जैसा है। हालांकि उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में मौसम अनुकूल होगा और किसान भाइयों के खेतों में अच्छी पैदावार होगी।