पथसंचलन में दिखा संघ का अनुशासन, पर्यावरण और परिवार को बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी.. मोहन भागवत ने आज कहा...
गोरखपुर, ब्यूरो। आज सुबह शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से कहा है कि पर्यावरण का संरक्षण का उनका दायित्व है। संगठन का हर कार्यकर्ता इस कार्य में अपनी जिम्मेदारी को समझे और इसमें अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। इसे लेकर लोगों को जागरूक करे, खुद तो पौधारोण करे ही जन-जन को इसके प्रेरित करे।
उन्होंने कहा कि पौधों को लगा देने से ही हमारी जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती। पेड़ बनने तक उसका संरक्षण भी करना होगा। हर पौधा वृक्ष बन सके, इसकी चिंता करनी होगी। संघ प्रमुख शनिवार को गोरखपुर के एसवीएम पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यकर्ता विकास वर्ग में अपने बौद्धिक के दौरान यह सीख दे रहे थे।
पर्यावरण संरक्षण के क्रम में ही संघ प्रमुख ने जल संरक्षण की सलाह भी दी। कहा कि जल का दुरुपयोग रोक कर हम जल संरक्षण में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं। बौद्धिक में संघ प्रमुख ने परिवार न टूटने देने की दिशा में कार्य करते रहने के लिए स्वयंसेवकों को प्रेरित किया।
और कहा कि आधुनिकता की दौड़ में शामिल होने के फेर में परिवार आज परिवार टूट रहे हैं, उनमें बिखराव देखने को मिल रहा है। यह परिवार के साथ-साथ समाज के लिए भी घातक है। पारिवारिक विघटन सामाजिक विघटन का कारण बन रहा है, इसे हर हाल में रोकना होगा।
इससे समाज के साथ-साथ राष्ट्र का भी नुकसान हो रहा है। इसके लिए स्वयंसेवकों को आगे आना होगा। संघ प्रमुख ने इसके लिए सप्ताह या पखवारे में एक दिन भोजन के बहाने परिवार को एकजुट करने की सलाह दी। एकाकी परिवार को सिरे से नकारते हुए उन्होंने परिवार की सामूहिकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सामूहिक परिवार ही सशक्त समाज का निर्माण करते हैं। एकाकी परिवार के बढ़े चलन से समाज कमजोर हुआ है। संघ प्रमुख भागवत के एक घंटे के बौद्धिक के दौरान काशी, अवध, कानपुर और गोरक्ष प्रांत के वह पदाधिकारी मौजूद रहे, जो पिछली तीन जून से चल रहे प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा हैं।
पंथ संचलन में दिखा संघ का अनुशासन
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कार्यकर्ता विकास वर्ग के अंतर्गत प्रशिक्षु स्वयंसेवकों द्वारा संघ प्रमुख मोहन भागवत की निगरानी में वर्ग स्थल एसवीएम स्कूल के सामने सड़क पर पथ संचलन किया गया। पथ संचलन से पहले मोहन भागवत सभी प्रशिक्षुओं के साथ स्कूल में स्थापित संघ स्थान गए, जहां ध्वज प्रणाम कर संघ की प्रार्थना की गई।
संघ के इस औपचारिक कार्यक्रम के बाद संघ प्रमुख भागवत और वर्ग के सर्वाधिकारी प्रो. राणा कृष्णपाल सिंह के साथ स्कूल गेट पर बने मंच पर विराजमान हुए। संघ प्रमुख के मंचासीन होने के बाद स्वयंसेवक दो कतार में संघ के विशेष वाद्ययंत्र (ड्रम, बांसुरी व) यानी घोष बचाते हुए स्कूल से बाहर निकले।
पथ संचलन में शामिल स्वयंसेवकों को संघ प्रमुख ने खड़े होकर विदा किया। करीब तीन किलोमीटर के पथसंचलन में संगठन का हमेशा की तरह अद्भुत अनुशासन देखने को मिला। संघ प्रमुख और सर्वाधिकारी सहित सभी स्वयंसेवक संपूर्ण गणवेश में थे। कंधे पर टिका डंड संघ की शक्ति का उद्घोष कर रहा था।
स्कूल से शहर की ओर जाने वाली सड़क पर निर्धारित डेढ़ किलोमीटर जाने के बाद स्वयंसेवक लौटे और इसी के साथ पथ संचलन की प्रक्रिया सम्पन्न हुई। पथ संचलन में कार्यकर्ता विकास वर्ग में शामिल काशी, अवध, कानपुर और गोरक्ष प्रांत के करीब 280 पदाधिकारी शामिल रहे।