तो इसलिए बिगड़ा 'भगवा' गणित', भाजपाइयों ने यूपी में खराब प्रदर्शन को नकारा, बताई कम वोट मिलने की असल वजह...
मेरठ, ब्यूरो। भाजपा संगठन मेरठ समेत पूरे उप्र में खराब प्रदर्शन के कारण सवालों से घिरी हुई है। मोदी का विराट व्यक्तित्व, और रामायण के राम की छवि और चारों तरफ विकास परियोजनाओं का जाल, बेहतर कानून व्यवस्था यानी बताने को बहुत कुछ था फिर भी मेरठ की भाजपा इस बात से ही खुश है कि वह सीट बचाने और 10 हजार से अधिक की लीड दिलाने में सफल रहे।
संगठन को अपना प्रदर्शन खराब नहीं दिखाई देता है। हालांकि संगठन ने यह स्वीकारा है कि वह जातिगत समीकरण साधने में अधिक सफल नहीं रहे। बसपा का वोट बैंक सपा की तरफ खिसक गया। यह एक अवसर था जिसे साधने में असफल रहे, यदि उस वोट को ला पाते तो लीड शानदार हो सकती थी। अरुण गोविल के लिए चुनावी प्रबंधन संभाल रही टीम और नेताओं से इस संबंध में बातचीत की गई।
प्रस्तुत है बातचीत के अंश
लोकसभा संयोजक व शहर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके कमल दत्त शर्मा कहना है कि प्रदर्शन किसी भी स्तर पर खराब नहीं रहा। चुनाव प्रचार और संपर्क में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। वह कहते हैं कि यदि बसपा का वोटबैंक सपा की तरफ नहीं खिसकता तो सपा हमारी लीड कम नहीं कर पाती। उनका कहना है कि इस वोट को साधने के लिए कई रणनीति तैयार की गई थी। फिर भी कम वोट ला सके।
विपक्ष ने झूठ फैलाया, गलत माहौल बनाया
इसलिए भाजपा को उम्मीद के अनुसार वोट नहीं मिल सके। ऊर्जा राज्यमंत्री व दक्षिण विधायक डा. सोमेंद्र तोमर का कहना है कि यह चुनाव 2019 से अलग था। इस बार सपा का जातिगत समीकरण ऐसा था जो भाजपा के लिए चुनौती बन गया फिर भी सभी के संयुक्त प्रयास और मेहनत के कारण जीत हुई। बसपा के वोटबैंक में से 15 हजार वोट लाने में सफल रहे। इसलिए प्रदर्शन खराब नहीं कहा जा सकता।
कैंट विधायक अमित अग्रवाल कहते हैं कि जिस तरह से विपक्ष ने प्रोपेगंडा फैलाया। संविधान पर गुमराह किया, आरक्षण पर गुमराह किया और सपा प्रत्याशी का जातिगत समीकरण चुनौती था उसके बाद भी जीत हुई इसलिए इसे खराब प्रदर्शन नहीं माना जाना चाहिए। यह सब संयुक्त प्रयास से ही संभव था। महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज कहते हैं कि मेरठ की सीट का जातिगत समीकरण ऐसा है कि जो हमेशा चुनौती बनता रहा है। इसको साधने का प्रयास किया जा रहा है कभी न कभी सफलता अवश्य मिलेगी।
निवर्तमान सांसद राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जातिगत चुनौती को नहीं नकार सकते। कुछ वर्ग ऐसा है जिसके लिए भाजपा हमेशा बेहतर करती रही है लेकिन वोट नहीं मिल पाता। क्या संवादहीनता है या फासला क्यों बना हुआ इस पर आगे प्रयास किया जाएगा। विधान परिषद सदस्य धर्मेंद्र भारद्वाज कहते हैं कि मुस्लिम, जाटव, यादव समीकरण से सपा उतरी थी, इससे उसे लाभ मिला।
बसपा का वोट उधर खिसका। यह हम सबका ऐसा प्रबंधन था कि जीतने के साथ ही लीड भी 10 हजार से पाने में सफल रहे क्योंकि दलित मतदाता निर्णायक होते हैं जिन्हें विपक्ष ने गुमराह करने का प्रयास किया था। इसलिए प्रदर्शन खराब नहीं कहा जाना चाहिए। कोर टीम के ही सदस्य क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मनोज पोसवाल व महानगर उपाध्यक्ष विवेक रस्तोगी कहते हैं कि संयुक्त टीम थी। सभी मिलकर निर्णय लेते थे इसलिए कहीं कमी नहीं रही।