18 पुराण की रक्षा करने वाले महर्षि वेदव्यास ने की थी ब्यासेश्वर महादेव की स्थापना, वाराणसी के कर्णघंटा में स्थित है यह मंदिर...
वाराणसी, ब्यूरो। मोक्ष की नगरी काशी में भगवान शिव अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। काशी की धरती पर देवी-देवताओं के साथ ही ऋषि मुनियों ने भी तपस्या की और शिवलिंग स्थापित किए। ऐसे ही एक हैं व्यासेश्वर महादेव।इसके दर्शन मात्र से धरती के किसी भी कोने में मरने वाले को मोक्ष प्राप्ति का वरदान मिल जाता है।
बुलानाला रोड कर्णघंटा मोहल्ले में काशी खंडोक्त व्यासेश्वर महादेव का मंदिर स्थापित है। स्कंद पुराण में इसका वर्णन मिलता है और काशी खंड के अध्याय 53, 92,93, 95 और 97 में इस शिवलिंग का विस्तार से वर्णन किया गया है।
18 पुराणों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास ने व्यासेश्वर महादेव को स्थापित किया है। व्यासजी ने यहीं पर व्यासकूप स्थापित किया और इस कूप के पानी से स्नान करने के बाद तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है।
काशी खंड के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं ने वरदान दिया है कि व्यासेश्वर महादेव की पूजा व दर्शन मात्र से धरती पर कहीं भी मृत्यु हो तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। व्यासेश्वर महादेव की पूजा करने वाले का ना तो कभी ज्ञान भ्रष्ट होता है और ना ही वह व्यक्ति कभी पापों के फेर में पड़ता है।
भगवान शिव ने दिया था मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद
काशी खंड के अनुसार महादेव ने घंटाकर्ण एवं महोदर नाम के पार्षद प्रमुखों को स्थान चयन करने के लिए काशी भेजा था। आनंद कानन वन में पहुंचने के बाद दोनों पार्षद यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मोहित हो गए और यहीं लीन रह गए।
इसके पश्चात महादेव जब स्वयं आए तो वह आनंदकानन को देखकर मोहित हो गए। उन्होंने माता पार्वती के अनुरोध और पार्षद प्रमुखों के निवेदन करने पर उन्हें क्षमा करते हुए वरदान दिया कि घंटाकर्ण सरोवर में स्नान करके और व्यासेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने से ही मात्र किसी व्यक्ति की मृत्यु पृथ्वी लोक में कहीं भी हो उसे काशी में ही मोक्ष जितना फल प्राप्त होगा। उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी एवं क्षेत्र संबंधी सभी पाप दूर होंगे।
गुरु पूर्णिमा के दिन दर्शन और सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व
मंदिर के प्रधान पुजारी विश्वनाथ दुबे ने बताया कि महर्षि वेदव्यास जी द्वारा स्थापित शिवलिंग का गुरु पूर्णिमा के दिन दर्शन और सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व है। व्यासेश्वर शिवलिंग के साथ ही यहां पर तुलसीदास जी द्वारा स्थापित हनुमान जी भी विराजमान हैं।
सेवक आत्माराम ने हमें बताया कि मंदिर और तालाब की सेवा करते करते हमें कई साल हो गए कुछ साल पहले तालाब की स्थिति एकदम बदतर हो गई थी। आसपास के घरों से लोग इसमें कूड़ा फेकते थे। सन 2021 में तालाब का सुंदरीकरण और जीर्णोद्धार कराया गया।