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विश्व प्रसिद्ध 42 घंटे तक शहर के आठ थानों से होकर गुजरने वाला दुलदुल का जुलूस दालमंडी स्थित इमामबाड़ा कच्चीसराय से निकला...

विश्व प्रसिद्ध 42 घंटे तक शहर के आठ थानों से होकर गुजरने वाला दुलदुल का जुलूस दालमंडी स्थित इमामबाड़ा कच्चीसराय से निकला...

वाराणसी, ब्यूरो। मुहर्रम की छठवीं तारीख शनिवार को भी अजादार कर्बला के शहीदानों के गम में डूबे रहे। विश्व प्रसिद्ध 42 घंटे तक शहर के आठ थानों  चौक, दशाश्वमेध, लक्सा, चेतगंज, सिगरा, कोतवाली, जैतपुरा, आदमपुरा क्षेत्र के सौ से अधिक गली-मुहल्लों से होकर गुजरने वाला दुलदुल का जुलूस शनिवार को दालमंडी स्थिर इमामबाड़ा कच्चीसराय से निकला। 

दुलदुल की जियारत के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। शाम को 5:30 बजे उठा जुलूस सौ से अधिक मुहल्लों से होकर गुजरेगा और 15 जुलाई को वापस उसी इमामबाड़े में आकर समाप्त होगा।

इमामबाड़े के मतव्वली सैय्यद इकबाल हुसैन व लाडले हसन की देखरेख में दुलदुल का जुलूस अकीदत व एहतराम के साथ उठाया गया। जुलूस में बैंडबाजे व शहनाई पर कर्बला के शहीदों की याद में मातमी धुन बज रही थी।

अंजुमन जौवादिया के नौहाख्वान नौहख्वानी व सीनाजनी करते हुए चल रहे थे। तमाम आलम में आज मातम है..., सकीना रो रो के पुकारे आए ना अमु हमारे...। हैदर अब्बास चांद, सारिक हुसैन, जफर हुसैन, सागर हसन, रेहान हुसैन, शकील हुसैन आदि ने नौहा पेश किए।

जुलूस के दो किमी का सफर तय करने में 10 घंटे लगे। गली-मुहल्लों में लोग दुलदुल की जियारत के इंतजार में खंडे थे। वे दूध, मेवा, फल और शिरनी खिलाकर इमाम की सवारी का इस्तेकबाल किया। 42 घंटे तक जुलूस चौक, दशाश्वमेध, लक्सा, चेतगंज, सिगरा, कोतवाली, जैतपुरा, आदमपुरा थानों के सौ से अधिक गली-मुहल्लों होकर गुजरेगा।
 

शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि सात मुहर्रम को इमाम हुसैन के भतीजे जनाबे कासिम जिसे कर्बला का दूल्हा कहा जाता है, उसकी शहादत की याद पर मेंहदी का जुलूस उठेगा। चौहट्टा लाल खां, दोषीपुरा, शिवपुर में मेहंदी का जुलूस उठेगा।