कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर अब नाम व पहचान की पट्टिका लगाने की बाध्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाया...
प्रयागराज, ब्यूरो। कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले खाने-पीने की दुकानों पर अब नाम व पहचान की पट्टिका लगाने की बाध्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से संशय में पड़े दुकानदारों ने राहत की सांस ली हैं। सोमवार से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। दारागंज दशाश्वमेध घाट से जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर के शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए हजारों कांवरिया जीटी रोड पर पैदल निकलते हैं।
प्रयागराज से पैदल काशी पहुंचने के लिए कांवरियों को रास्ते में तीन रातें गुजारनी पड़ती हैं। पैदल यात्रा के दौरान कांवरिया कांधे पर रखे कांवर को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ लेकर आगे बढ़ता है। ऐसे में वह उचित जगह पर ही विश्राम करता है और अपने खाने-पीने से लेकर नित्य क्रिया तक में तन मन की शुद्धि का ध्यान रखता है। कांवरियों के लिए जीटी रोड की पूरी एक लेन वाराणसी तक सुरक्षित कर दी गई है।
कांवर यात्रा की शुचिता के दृष्टिगत ही योगी सरकार सहित कई प्रदेश की सरकारों ने कांवर मार्ग पर पड़ने वाले सभी दुकानों पर उनके संचालकों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था। हालांकि इसे लेकर देश में एक नई बहस छिड़ गई थी। इधर योगी सरकार का फरमान जारी होते ही एक समुदाय विशेष के दुकानदार, रेस्टोरेंट व ढ़ाबा संचालक संशय में थे।
पुलिस की ओर से अभी तक कोई सख्त रुख नही अपनाए जाने से वे नेमप्लेट लगाने में टालमटोल जरूर कर रहे थे, किंतु सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से संशय में पड़े दुकानदारों व ढ़ाबा संचालकों ने राहत की सांस ली हैं।
चाय-पानी व फल का ठेला लगा रहे कल्लू, शोहेब अंसारी, मेंहदी हसन, राजू सोनकर, रेस्टोरेंट संचालक मोहम्मद फैज का कहना है कि सरकार के आदेश का तो पालन करना ही था किंतु कोर्ट से मिली राहत एक बड़े झंझट से मुक्ति दे दी है। वही कांवर लेकर निकले कांवरियों ने सरकार के आदेश के साथ खड़े नजर आएं।