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इसी महीने में पैगंबर मोहम्मद के कुनबे का कत्ल हुआ था, इसीलिए मुसलमान मनाते हैं मोहर्रम...

इसी महीने में पैगंबर मोहम्मद के कुनबे का कत्ल हुआ था, इसीलिए मुसलमान मनाते हैं मोहर्रम...

'मुहर्रम' इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम है. 8 जुलाई 2024 से यह शुरू गया है, आज मुहर्रम की 1 तारीख है। अन्य कैलेंडर का नया साल शुरू होने पर खुशी मनाई जाती हैं लेकिन मुसलमानों के लिए मुहर्रम गम का महीना है। मुहर्रम की 10 तारीख को पैगंबर मुहम्मद के नवासे को उनके परिवार के पुरुष सदस्यों और अनुयायियों के साथ कत्ल कर दिया गया था. मारे जाने वाले कुल 72 लोग थे. पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन, परिवार के सदस्य और अनुयायियों को ईराक के शहर कर्बला में मारा गया था. कर्बला में ये नरसंहार 680 AD में 10 October को हुआ था।

पैगंबर मुहम्मद का परिवार

पैगंबर मुहम्मद के औलाद में सिर्फ एक बेटी फातिमा थी. परिवार में फातिमा व उनके पति अली तथा उनके बच्चे थे. बच्चों में दो बेटे और दो बेटियां थी. बेटे हसन और हुसैन तथा बेटियां जैनब और उम्मे कुलसूम थी. फातिमा के पांचवे बच्चे की जन्म से पहले गर्भ में ही मौत हो गई थी, जिसे उन्होंने मोहसिन नाम दिया था।

पैगंबर मुहम्मद के छोटे नवासे हुसैन के कत्ल की वजह

यजीद और हुसैन में कोई नई दुश्मनी नहीं थी. हुसैन के पिता अली और नाना पैगंबर मुहम्मद तथा यजीद के पिता मुआविया और दादा अबू सुफियान में गहरा धार्मिक वैचारिक मतभेद था. दरअसल मक्का की विजय के दौरान अबू सुफियान के परिवार ने यथास्थिति से बाहर निकलकर इस्लाम तो स्वीकार कर लिया था लेकिन उनके मन में हमेशा पैगंबर मोहम्मद और उनके परिवार के प्रति नफरत थी. अबू सुफियान के बेटे, मुआविया ने इमाम अली के खिलाफ युद्ध और साजिशें छेड़ीं थी. फिर यज़ीद ने इमाम हुसैन को उसके प्रति वफ़ादारी के लिए मजबूर किया. जिसका अंत कर्बला की लड़ाई में हुआ. यहीं यज़ीद की सेना ने पैगंबर के परिवार का नरसंहार किया जिसमें महिलाओं-बच्चों पर बेशुमार अत्याचार किए गए।

हुसैन ने सिर कटा दिया, लेकिन झुकाया नहीं

यजीद हर वो काम करता था जिसे पैगंबर ने करने के लिए मना किया था. वह पैगंबर की दी गई हर सुन्नत को तोड़ने का निश्चित इरादा था. यज़ीद एक मुस्लिम ख़लीफ़ा के रूप में जो कुछ भी कर रहा था उस पर हुसैन की मुहर (अनुमोदन) चाहता था. चाहता था कि हुसैन उसके इरादों के आगे सिर झुका लें. हुसैन यज़ीद से लड़ना नहीं चाहते थे लेकिन जब उन्होंने यज़ीद की मांग को नहीं माना तो यजीद की सेना ने हुसैन पर युद्ध थोप दिया।

पैगंबर के कुन्बे को मारने वाले मुसलमान थे ?

जिन्होंने पैगंबर के नवासे को मारा, वे मुस्लिम होने का दावा करते थे लेकिन उनके कृत्यों ने यह साफ कर दिया कि इस्लाम उनके दिल और दिमाग से बहुत दूर है. माना जाता है कि 'दूसरों पर जुल्म करने वालों' की जड़ें इन्हीं लोगों के समूह से उपजती हैं. 10 मुहर्रम को कर्बला में हुए नरसंहार में अच्छाई और बुराई के बीच एक लाइन खींच दी गई.... जिसने ये सबक दिया कि इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद।

पैगंबर का परिवार तो कत्ल हुआ, लेकिन जिन मूल्यों के लिए वे लड़ रहे थे, वे सभी कायम हैं. उन्होंने इस्लाम को बचाया, इसीलिए उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाता है।

कितने दिन मनाया जाता है गम

शिया समुदाय मुहर्रम की 1 तारीख से लेकर दूसरे महीने सफर और तीसरे महीने रबी अल अव्वल की 8 तारीख तक गम मनाते हैं. माना जाता है इस तारीख को हुसैन का लुटा हुआ काफिला वापस मदीने पहुंचा था. 9 रबी अल अव्वल को Ayyam-e-Aza (गम के दिन) खत्म होते हैं।

आज कर्बला (शियाओं के लिए) इस्लाम के सबसे पवित्र शहरों में से एक है. वर्तमान में कर्बला में हुसैन की मौत के दिन (10 मुहर्रम) के 40 दिन बाद हर साल अरबाईन तीर्थयात्रा भी निकाली जाती है. जिसे Arba'in pilgrimage या अरबाईन वॉक कहा जाता है। यह दुनिया की सबसे बड़ी तीर्थ यात्रा है. इसमें दुनिया के सभी देशों और मजहब के लोग शामिल होकर, हुसैन के प्रति अपनी मोहब्बत की इजहार करते हैं. इसे सफर ए इश्क भी कहा जाता है।