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"वोट ना दिला पाने वाले विधायकों का कटे टिकट वाराणसी में हुआ विश्वासघात" बीएल. संतोष संग मंथन में रखी भाजपा नेताओं ने अपनी राय...

"वोट ना दिला पाने वाले विधायकों का कटे टिकट वाराणसी में हुआ विश्वासघात" बीएल. संतोष संग मंथन में रखी भाजपा नेताओं ने अपनी राय...

लखनऊ, ब्यूरो। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में खराब प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष के नेतृत्व में एक अहम बैठक हुई। बैठक में पार्टी संगठन के वरिष्ठ नेताओं समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मौजूद रहे। बैठक में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारणों और भविष्य की बेहतर रणनीति बनाने पर चर्चा हुई। काफी समय बाद ऐसा हुआ जिसमें सीएम आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एक साथ शामिल हुए. जानकारी के मुताबिक,वरिष्ठ भाजपा नेता बीएल संतोष ने दो बैठकें कीं, पहली बैठक सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और प्रदेश महासचिव (संगठन) धर्मपाल सिंह की कोर कमेटी के साथ हुई।

उपचुनाव जीतने को लेकर बनी रणनीति

बंद कमरे में हुई इस बैठक में बीएल संतोष ने आगे की रणनीति और 10 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव पर जोर देते हुए चर्चा की। वहीं इस बैठक में सीएम योगी ने राष्ट्रीय संगठन मंत्री को महत्वपूर्ण उपचुनाव जीतने के लिए उठाए जा रहे कदमों और रणनीति से अवगत कराया। भाजपा पार्टी एक नेता ने बताया कि,कोर कमेटी की बैठक में आगामी विधानसभा उपचुनावों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया और सभी 10 सीटों पर जीत के लिए संगठन के दृष्टिकोण से रणनीति पर चर्चा की गई है।

तो कटेगा विधायको का टिकट

बीएल संतोष की दूसरी बैठक भाजपा के छह क्षेत्रीय प्रमुखों और लोकसभा चुनाव के लिए इन क्षेत्रों के छह प्रभारियों के साथ हुई। जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में पार्टी को जिन निर्वाचन क्षेत्रों में हार मिली वहां के विधायकों की भूमिका पर भी चर्चा की गई। बैठक में शामिल एक भाजपा नेता ने बताया कि,पार्टी के वो विधायक जो अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों के लिए वोट हासिल करने में विफल रहे हैं उन्हें 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने की संभावना है।

वाराणसी के भीतरघात का भी हुआ जिक्र

बैठक में पार्टी के सभी 6 क्षेत्रों के पदाधिकारियों ने भी पार्टी के खराब प्रदर्शन का अपना-अपना आकलन पेश किया। इस दौरान बैठक में मौजूद लोगों ने पार्टी के अंदरूनी लोगों द्वारा, खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में, विश्वासघात का मुद्दा भी उठाया. प्राप्त जानकारी अनुसार,बैठक में बलिया से भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर की हार पर भी चर्चा की गई। बैठक में मौजूद लोगों ने ये भी बताया कि 'अबकी बार 400 पार' का नारा पार्टी के लिए उल्टा साबित हुआ।

भाजपा नेताओं ने बीएल संतोष को बताया कि विपक्ष लोगों को यह गुमराह करने में सफल रहा कि अगर भाजपा को 400 से अधिक सीटें मिलीं तो वह संविधान बदल देगी. बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि,एक से दो बार जीते हुए सांसदों की बड़ी संख्या को फिर से टिकट देना भी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ क्योंकि मतदाताओं में उनके खिलाफ असंतोष व्याप्त था. भाजपा के क्षेत्रीय प्रमुखों ने पार्टी के राज्य नेताओं और जिला इकाइयों के बीच समन्वय की कमी का भी मुद्दा प्रमुखता से उठाया।

बैठक में मौजूद भाजपा के एक क्षेत्रीय प्रमुख ने कहा, 'कुछ विधायक लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इन विधायकों ने पार्टी के खिलाफ काम किया और पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित की।' 

फिर बैठक करेंगे बीएल संतोष

वहीं बीएल संतोष की दूसरी मीटिंग भाजपा के मीडिया और पार्टी के एससी प्रकोष्ठों के साथ होगी जिसमें कुछ मंत्री और विधायक शामिल होंगे. बताया जा रहा है कि,लखनऊ में 14 जुलाई को होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक की तैयारियों की भी समीक्षा बीएल संतोष ने और कहा कि,इस बैठक के लिए संगठनात्मक योजना बनाई जाए, जिससे आगामी कार्यक्रमों और अभियानों के माध्यम से संगठन को गति मिले।

बैठक समाप्त होने के बाद भाजपा की तरफ से जारी बयान में बताया गया, 'राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने बैठकों के दौरान इस बात पर जोर दिया कि संगठन के विस्तार का काम निरंतर और अथक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में होने वाले उपचुनावों को जीत सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ मजबूती से लड़ा जाना चाहिए. राजनीतिक आयोजनों और अभियानों के साथ-साथ भाजपा अपनी सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति भी सजग है. प्रकृति की रक्षा और संरक्षण के संकल्प के साथ "एक पेड़ मां के नाम" अभियान में पार्टी पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों को शामिल किया जाना चाहिए।'